कौलान्तक पीठ के कोटला स्थित कुरुकुल्ला मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य शुरू।

ओम तिवारी, बालीचौकी, हिमाचल प्रदेश
कोटला गांव में स्थित कौलान्तक पीठ का वर्षों पुराना घरनुमा मंदिर जर्जर अवस्था में पहुंचने के कारण ढहा दिया गया है। ऐसे में कौलान्तक पीठ के पीठाधीश्वर महायोगी सत्येंद्र नाथ (ईशपुत्र) ने इस पुराने मंदिर को तोड़ कर पुन: नए मंदिर को बनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। हालांकि उनके ऐसा करने से श्रद्धालुओं के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया है कि तब तक वो देवी कुरुकुल्ला के दर्शन कैसे कर पाएंगे? इस पर ईशपुत्र महायोगी सत्येंद्र नाथ का कहना था कि बालीचौकी स्थित कौलान्तक पीठ के कार्यालय के ऊपर भवन में देवी कुरुकुल्ला के रथ को रखा जाएगा। जहाँ केवल चुनिंदा भक्तों को ही देवी के दर्शन हो पाएंगे। नए मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द पूर्ण करने का प्रयास किया जाएगा। क्योंकि कौलान्तक पीठ के मंदिर की कोटला स्थित भूमि समतल नहीं है और कठिन चढ़ाई होने के कारण निर्माण कार्य में बहुत सा समय लगेगा व धन का व्यय होगा। तब तक ईशपुत्र ने श्रद्धालुओं से विनम्र अपील की है कि कृपया कुछ समय वे मंदिर दर्शन के लिए ना आएं। कौलान्तक पीठ अपने संपर्क नंबरों के द्वारा भी कौलान्तक पीठ से जुड़े भक्तजनों को इसकी सूचना दे रहा है। ज्ञात हो कि इस मंदिर स्थल पर ईशपुत्र महायोगी सत्येंद्र नाथ नहीं रहते। वे अपने वाल्यकाल में यहाँ कुछ वर्षों अपने गुरु के सान्निध्य में रहे थे। मंदिर की ये भूमि ईशपुत्र के परिवार की निजी संपत्ति है व देवी कुरुकुल्ला का मंदिर भी निजी संपत्ति होने के कारण, यहाँ सभी को प्रवेश की अनुमति नहीं है। ‘ईशपुत्र’ महायोगी सत्येंद्र नाथ ऊँचे हिमालयों में रहने और कठिन योग तपस्या के कारण और अपने प्रखर आध्यात्मिक चिंतन के कारण विश्व प्रसिद्द हैं। हिमालय के पर्वतों में तपस्या करने के बाद वे कुछ समय कुल्लू में रहे। जहाँ उनके वाहन पर आपराधिक तत्वों ने हमला किया और धर्म विरोधियों द्वारा उनको जान से मार देने की धमकियां दी जाने लगी। जिसके बाद उनको सुरक्षा कारणों से कुल्लू से हटा दिया गया। हाल ही में यूरोप के दौरे से लौटने पर उनहोंने कौलान्तक पीठ मंदिर के निर्माण को हरी झंडी दे दी। हालांकि देश-विदेशों में घूम कर सिद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे ईशपुत्र के पीछे आज लोगों की लम्बी कतारें हैं। लेकिन उनकी प्रतिष्ठा उनका ज्ञान बहुतों को रास नहीं आ रहा। नास्तिक और धर्मविरोधियों के सदैव निशाने पर रहने वाले ईशपुत्र की सुरक्षा कौलान्तक पीठ टीम के लिए फिलहाल मुसीवत बनी हुई है। वहीँ ईशपुत्र ने नए मंदिर का प्रारूप जारी किया। जिसमें मंदिर की शैली और परंपरा को ध्यान में रख कर निर्माण की बात कही गई है। जहाँ एक ओर मंदिर निर्माण की बात से कुछ लोग प्रसन्न हैं तो वहीँ कुछ लोग कौलान्तक पीठ की प्रसिद्धि से चिंतित भी हैं। उनका कहना है कि इससे बाहरी राज्यों के अपराधियों का आना इस क्षेत्र में बढ़ सकता है। बाहरी लोग जो कौलान्तक पीठ की अपनी गुप्त परम्पराओं से परिचित नहीं हैं वे यहाँ के लोगों के लिए सरदर्द बन सकते हैं। जब इस बावत हमने ईशपुत्र से सवाल किया तो उनका कहना था कि चिंता ना करें मेरा अधिकतर रहना यहाँ से दूर ही होगा। ऐसे में यहाँ भीड़ किसी भी कीमत पर नहीं बढ़ने दी जायेगी। नए मंदिर के प्रारूप से सभी में प्रसन्नता है और सभी मंदिर के निर्माण कार्य के संपन्न होने की प्रतीक्षा में जुटे हैं। समाचार लिखे जाने तक पुराना मंदिर गिरा दिया गया था और कोटला में मंदिर और उसके साथ अन्य गतिविधियों के लिए भवन हेतु भूमि समतल करने का कार्य जारी था।

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