(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : असम में नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध करने पहुंचे तृणमूल के छह सांसद और दो विधायकों को गुरुवार को सिलचर एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया। तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इसे सुपर इमरजेंसी करार दिया। उन्होंने कहा कि लोगों से मिलना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।भाजपा नेताओं द्वारा बंगाल में एनआरसी लागू करने की मांग पर ममता ने कहा, “वे (भाजपा नेता) कौन हैं? उनका बंगाल में क्या महत्व है? उन्हें कोई नहीं जानता। वे सिर्फ गुंडे हैं। उनका यहां होना खुद में एक सवाल है और वे यहां एनआरसी लागू करेंगे। मैं देखती हूं कि वे कैसे यहां हस्तक्षेप करते हैं।” इससे पहले केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बांग्लादेशियों की बंगाल में घुसपैठ के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा। जेटली ने उन्हें 13 साल पुराना बयान याद दिलाते हुए ब्लॉग में लिखा, “ममता बनर्जी ने 4 अगस्त 2005 को लोकसभा में कहा था- बंगाल में घुसपैठ अब आपदा हो गई है…मेरे पास बांग्लादेशी और भारतीय मतदाता सूची, दोनों हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला है। मैं जानना चाहती हूं कि सदन में इस पर कब चर्चा की जाएगी।”जेटली ने लिखा, “भारत की संप्रभुता राजनीतिक बहस की गुणवत्ता की वजह से भारी कीमत चुका रही है। हालांकि, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने 1972 और 1985 में विदेशियों को हटाने और निर्वासन के लिए एक स्टैंड लिया। राहुल गांधी एक विरोधाभासी स्टैंड लेते हैं। इसी तरह 2005 में भाजपा की सहयोगी ममता बनर्जी ने एक स्टैंड लिया। वह अब इससे उलट बात करती हैं। क्या भारत की संप्रभुता इस तरह के अस्थिर दिमाग और कमजोर हाथों से तय की जा सकती है?” ममता बनर्जी ने एनआरसी के मुद्दे पर बुधवार को कहा, “जब पड़ोसी राज्य असम दुखी है तो बंगाल के लोग क्यों आवाज नहीं उठा सकते हैं? जिसने भाजपा को वोट दिया, वो लिस्ट में है और जिसने नहीं दिया, उन्हें बाहर कर दिया गया! क्या बांग्लादेशियों के नाम पर इस तरह लोगों को बांटा जा सकता है? विभाजन से पहले बांग्लादेशी भी भारत के नागरिक थे, उनकी भाषा और संस्कृति हमारे जैसी ही है। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की वास्तविकता की जांच करने के लिए एक टीम असम भेजी जाए।”