(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अस्पताल में हो रही शिशुओं की मौत से देश में चिंता की लहर है। राजस्थान से लेकर गुजरात तक अस्पतालों में सैकड़ों बच्चों की मौत ने देश को हिला दिया है। कोटा के जेके लोन अस्पताल का मामला सामने आने के बाद जोधपुर, बूंदी और बीकानेर में भी शिशुओं की मौत से हड़कंप मचा हुआ है। अशोक गहलोत सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है। दूसरी ओर अहमदाबाद और राजकोट के अस्पताल में तकरीबन 200 बच्चों की मौत के बाद राज्य की विजय रुपाणी सरकार सवालों के घेरे में है। इस बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने एनबीटी को दिए इंटरव्यू में कहा है कि गुजरात के सीएम के गृह क्षेत्र में भी 100 से ज्यादा बच्चे मरे हैं। अशोक गहलोत से जब राज्य के अस्पतालों में शिशुओं की मौत पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘यह बेहद संवेदनशील मामला है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह सच है कि शिशुओं की मौत हुई है और ऐसा नहीं है कि राजस्थान में ही हुई है। गुजरात में भी शिशुओं की मौत हुई है। वहां के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के मतदान क्षेत्र में ही 100 से ज्यादा शिशु मरे हैं। मैं दावे के साथ कहता हूं कि पहले की तुलना में राजस्थान में शिशु मृत्यु दर घटी है। हम इसे और भी कम करने का प्रयास करे रहे हैं। मां और बच्चे स्वस्थ रहें, यह हमारी सरकार की प्राथमिकता है। हमने निरोगी राजस्थान योजना भी शुरू की है, जिसके तहत ब्लड टेस्ट जैसी सुविधाएं नि:शुल्क हैं।’ गुजरात के डेप्युटी सीएम नितिन पटेल ने राजकोट और अहमदाबाद के अस्पतालों में बच्चों की मौत पर कुछ इसी तरह की सफाई देते हुए कहा, ‘गुजरात में हर साल 12 लाख शिशुओं का जन्म होता है। गुजरात में शिशु मृत्यु दर कम हुई है। प्रदेश में पैदा होने वाले 1000 बच्चों में से 30 बच्चों की मौत होती है और इसका कारण कई बार समय से पूर्व जन्म या प्रसूताओं (गर्भवती महिलाओं) का समय से अस्पताल ना पहुंचना होता है। अक्टूबर से दिसंबर तक राजकोट अस्पताल में 1296 मामले देखे गए, इनमें से 499 केस दूसरी जगहों से रिफर होकर आए थे। इसी अवधि के दौरान 1357 नवजात बच्चों का इलाज हुआ, जिनमें से 802 रिफर केस थे।’
अस्पताल बच्चों की मौत
बीकानेर का पीबीएम अस्पताल – पिछले 35 दिन में 162 मौतें
जोधपुर का उम्मेद और एमडीएम अस्पताल – दिसंबर से 146 बच्चों की मौत
रांची का सरकारी अस्पताल रिम्स – हर महीने 96 बच्चों की मौत
भोपाल का हमीदिया अस्पताल – 1 साल में 800 बच्चों की मौत
लखनऊ की किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी – 1 साल में 650 बच्चों की मौत
पुणे का ससून अस्पताल – 1 साल में 208 बच्चों ने दम तोड़ा
इस बीच कोटा के जेके लोन अस्पताल में 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत के बाद अस्पताल के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमृतलाल बैरवा को हटा दिया गया है। बैरवा की जगह कोटा मेडिकल कॉलेज के डॉ. जगजीत सिंह को नया विभागाध्यक्ष बनाया गया है। जेके लॉन अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुरेश दुलारा ने बताया कि बच्चों के 4 नए डॉक्टर भी नियुक्त किए गए हैं।
उधर राजकोट के पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के डीन मनीष मेहता ने कहा कि शिशुओं की मौत के मामलों में बढ़ोतरी कम वजन के बच्चों के जन्म के मामले बढ़ने की वजह से भी हुई है। वहीं, अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक जीएच राठौड़ ने माना कि अस्पताल में दिसंबर में 85 शिशुओं की मौत हुई है। राठौड़ ने कहा, ‘नवंबर में 74 और अक्टूबर में 94 शिशुओं की मौत हुई थी। 2018 की तुलना में मृत्यु दर में 18 फीसदी की कमी आई है।’ उन्होंने कहा कि ऐसी मौतों के मुख्य कारणों में अस्पताल में रिफर किए गए बच्चों का समय पूर्व जन्म, जन्म के समय वजन कम होने के साथ ही संक्रमण शामिल है।