(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): आज 10 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म के अनुसार ये 15 दिन पितृ यानी पुरखों के लिए समर्पित हैं। इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों के लिए तर्पण और पिंड दान करते हैं। अपने पूवर्जों का आशीर्वाद लेते हैं और साथ ही उनकी मुक्ति की कामना करते हैं। पितरों की आत्मा को संतुष्ट करने और उनकी कृपा पाने के लिए पितृ पक्ष का महीने बेहद खास है। ऐसा माना जाता है कि ये 15 दिन हमारे पूर्वज धरती पर वंशजों के बीच आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पितृ अगर प्रसन्न हो जाएं तो आपके जीवन में खुशियों की बारिश हो सकती है और अगर पितृ नाराज हो जाएं तो राजा भी रंक बन सकता है। हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष मनाया जाता है। यह कुल 16 दिनों की अवधि होती है। इस साल पितृ पक्ष 10 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है जो 25 सितंबर को समाप्त होगा।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की आत्माएं पितृलोक में निवास करती हैं, जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का स्थान माना जाता है। ये क्षेत्र मृत्यु के देवता यम द्वारा शासित है, जो एक मरते हुए व्यक्ति की आत्मा को पृथ्वी से पितृलोक तक ले जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाभारत युद्ध में महान दाता कर्ण की मृत्यु हुई, तो उसकी आत्मा स्वर्ग चली गई, जहां उसे भोजन के रूप में सोना और रत्न चढ़ाए गए। हालांकि, कर्ण को खाने के लिए वास्तविक भोजन की आवश्यकता थी और स्वर्ग के स्वामी इंद्र से भोजन के रूप में सोने परोसने का कारण पूछा। इंद्र ने कर्ण से कहा कि उसने जीवन भर सोना दान किया था, लेकिन श्राद्ध में अपने पूर्वजों को कभी भोजन नहीं दिया था। कर्ण ने कहा कि चूंकि वह अपने पूर्वजों से अनभिज्ञ था, इसलिए उसने कभी भी उसकी याद में कुछ भी दान नहीं किया। इसके बाद कर्ण को 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दी गई, ताकि वह श्राद्ध कर सके और उनकी स्मृति में भोजन और पानी का दान कर सके। इस काल को अब पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है।
पितृपक्ष में पितरों की प्रसन्नता के लिए जो भी श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें इस दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए। साथ ही इन दिनों में घर पर सात्विक भोजन बनाना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। यदि पितरों की मृत्यु की तिथि याद है तो तिथि अनुसार पिंडदान करें सबसे उत्तम होता है। पितृपक्ष में पितरों की प्रसन्नता के लिए जो भी श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें इस दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए। साथ ही इन दिनों में घर पर सात्विक भोजन बनाना चाहिए। यदि पितरों की मृत्यु की तिथि याद है तो तिथि अनुसार पिंडदान करें सबसे उत्तम होता है।
पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष के दौरान कुछ कार्यों को करने से जल्द राहत मिलती है। इन दिनों में गाय को भोजन अवश्य कराएं, गाय की सेवा का विशेष फल मिलता है। भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है और अश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष चलते हैं। ऐसे में इन 15 दिनों तक पितरों से संबंधित कार्य करने से पितर प्रसन्न होते हैं।