(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : फसल के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली मानसून से पहले (प्री-मानसून) की बारिश में इस साल करीब 21 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 1 मार्च से 15 मई तक 75.9 मिलीमीटर वर्षा हुई। आमतौर पर इस अवधि में 96.8 मिलीमीटर बारिश होती है। सम विभाग के मुताबिक 1 मार्च से 24 अप्रैल तक 27 फीसदी कम बारिश हुई। ऐसा लग रहा है कि पिछले पखवाड़े पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत में हुई बारिश के कारण इस हफ्ते बहुत हद तक कमी की भरपाई हो गई है। इस बीच दक्षिणी पश्चिमी मानसून दक्षिण अंडमान सागर की ओर बढ़ रहा है। स्थिति अनुकूल होने के कारण इसके अगले दो से तीन दिनों में अंडमान सागर में पहुंचने के आसार हैं।
आईएमडी के चार क्षेत्रों में से दक्षिण भारत के सभी राज्यों वाले दक्षिणी प्रायद्वीप में मानसून पूर्व की बारिश में 46 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। यह इलाका देश में सबसे कम वर्षा वाला दर्ज किया गया है। इसके बाद दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र, जिसमें उत्तर भारत के सभी राज्य आते हैं, में 36 फीसदी कम बारिश हुई है। वहीं पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा सहित बाकी राज्यों में सात फीसदी की कमी हुई।मध्य क्षेत्र के राज्यों महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़, गुजरात और मध्य प्रदेश में मानसून पूर्व की बारिश में कोई कमी नहीं आई है। हालांकि 1 मार्च से 24 अप्रैल के दौरान सामान्य से पांच फीसदी कम बारिश हुई। इस क्षेत्र में हालांकि इस दौरान भीषण गर्मी पड़ी और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के बांधों का जल संचय स्तर शून्य पर पहुंच गया। मध्य भारत में गन्ना, कपास जैसी फसलों को बचाए रखने के लिए मानसून से पहले की बारिश काफी अहम होती है। हिमालयी क्षेत्रों में सेब जैसे फलों के लिए भी यह बारिश जरूरी है। नमी के कारण मानसून पूर्व की बारिश जंगल में आग लगने की घटना में कमी लाने में भी मददगार होती है। – लक्ष्मण सिंह राठौड़, आईएमडी के पूर्व महानिदे-शक