तिरुपति है देश के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक

श्रद्धालु यहाँ तिरुमाला स्थित वेंकटेश्‍वर मंदिर में बालाजी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : मैं तिरुपति शहर हूँ। देश के दक्षिण भाग में बसा। दिल्ली से तकरीबन दो हज़ार किलोमीटर दूर। मेरी पहचान एक तीर्थ नगरी की है। श्रद्धालु यहाँ तिरुमाला स्थित वेंकटेश्‍वर मंदिर में बालाजी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। वर्ष 2012-13 में ‘पर्यटन मंत्रालय’ ने बेस्‍ट हेरिटेज सिटी घोषित किया था। लेकिन अब मेरी पहचान बदल रही है। आईटी -इलेक्‍ट्रॉनिक कंपनियों तेजी से यहाँ पहुँच रही हैं। और हाँ, पिछले दिनों मुझे देश के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक माना गया है। रहने के लिहाज़ से भी मुझे सबसे अच्‍छे शहरों में चौथे स्‍थान पर रखा गया है।आंध्र प्रदेश के प्रमुख शहरों में मेरी गिनती होती है। सितंबर-अक्‍टूबर में नौ दिनों के लिए श्रीवारी ब्रह्मोत्सव आयोजित होता है। लाखों श्रद्धालु आते हैं। पिछले साल इन नौ दिनों में 16 लाख श्रद्धालु पहुँच गए थे। औसतन 70 हजार लोग सामान्य दिनों में भी यहां पहुँचते हैं। इस भीड़ में श्रद्धालुओं के साथ अपराधी भी यहाँ पहुँच रहे थे। यही वजह थी कि पिछले सालों में यहां अपराध बहुत बढ़ गए थे। सरकार और स्थानीय पुलिस के लिए जरूरी हो गया था कि सुरक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चाक चौबंद किया जाए। और फिर, 2017 में यह कसरत शुरू हुई।स्थानीय पुलिस ने बेहद आधुनिक और कारगर तरीके अपनाए। लॉक्‍ड हाउस मॉनिटरिंग सिस्‍टम (एलएचएमसी), जिसमें ऍप के माध्यम से नागरिक अपने घर के आसपास के सीसीटीवी को देख सकते थे। इसके साथ फेशियल रिकॉग्‍निशेन सिस्टम को शामिल किया गया। इसमें कैमरा-सीसीटीवी पर दिखाई देने वाले व्यक्ति के बारे में सूचना पता चल जाती है। इस व्यवस्था को फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन नेटवर्क सिस्‍टम, चाइल्‍ड टैग्‍स से जोड़ा गया। हर जरूरी जगह पर सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछा दिया गया।पिछले एक साल में इस वजह से 80 प्रतिशत चोरियां घट गई हैं। फ‍िंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन नेटवर्क सिस्‍टम से उन अपराधियों पर भी लगाम लगी है, जिनके पुराने आपराधिक रिकॉर्ड रहे हैं। खास बात यह है कि पुलिस कई शिकायतों को तो वॉट्सऐप के माध्‍यम से सुलझा लेती है। पुलिस फेसबुक पर भी मौजूद है। एसपी अभिषेक मोहंती की इसमें खास भूमिका रही है। उनकी सबसे पहली कोशिश थी – पुलिस जवाबदेह बने। इसके लिए इंटीग्रेटेड पुलिसिंग की तैयारी की और उन्होंने सुनिश्चित किया — डायल 100 पर जब कोई कॉल करे तो पुलिस मह‍ज कुछ मिनट में पहुंचे, आज के समय में तिरुपति पुलिस महज 5 मिनट के अंदर पहुंच जाती है। इसके लिए इसके लिए जीपीएस युक्त 170 वाहन तैनात हैं, जिनमें ज्यादातर बाइक और कुछ जीप हैं। यह डायल 100 से जुडी हैं और कॉल मिलते ही सीधे मौके पर पहुंचती हैं।
– एंटी सोशल लोगों को पुलिस ने बाकायदा तीन कैटगरी में चयनित किया है ए, बी और सी। इन तीनों पर पुलिस लगातार नजर रखती है। यह अपराधी कहां जा रहे हैं, क्‍या कर रहे हैं। इस पर हर सप्‍ताह ट्रैकिंग की जाती है।
– रात 12 से चार बजे के बीच में अपराध पर नजर रखने के लिए भी एक स्‍पेशल पेट्रोलिंग यूनिट बनाई गई है। जो बस स्‍टैंड, रेलवे स्‍टेशन पर लगातार यात्रियों पर नजर रखती है।
-महिलाओं की सुरक्षा के लिए ‘सी डॉट हेल्‍प’ सेवा शुरू की है। जिसमें वह अपनी समस्‍या बता सकती हैं।
– विजीबल पुलिसिंग पर फोकस है, अगर पुलिस लोगों को फील्‍ड में नजर आएगी तो जाहिर है कि अपराधियों में भय रहेगा।

सफल शहरों से सीखें सुरक्षा व्यवस्था

‘माय सिटी माय प्राइड’ अभियान में शहर को बेहतर बनाने के लिए आपसे राय ली जा चुकी है। जनप्रतिनिधियों से भी पूछा गया है। विशेषज्ञों और जिम्मेदार अफसरों को आमंत्रित किया है। सबने शहर की सुरक्षा व्यवस्था को अहम् मानते हुए उसकी कमियों और सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। सुरक्षा को लेकर इन शहरों की सबसे बड़ी चिंता है – महिलाओं और छोटे बच्चों के साथ बढ़ते अपराध। बिना हेलमेट के बाइक चलाना, गलत दिशा में और तेज़ गति से वाहन दौड़ना भी हर शहर की समस्या है। यहाँ सीसीटीवी की कमी है या फिर वे काम नहीं करते। इन सभी शहरों में पुलिस कर्मियों की कमी है। लेकिन पुलिस और नागरिकों के बीच विश्वास में कमी एक बड़ी समस्या है। आम शहरी पुलिस को जरुरी सूचनाएं देने से भी घबराता है। इससे पुलिस के पास सही समय पर सटीक सूचनाएं नहीं पहुंचतीं। इसके लिए पुलिस को कामकाज का तरीका बदलना होगा, ताकि अपराधियों में कानून का भय हो और आम नागरिक सहजता से अपनी समस्या या सूचना पुलिस से साझा कर सके।

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