दफ़नाया जाएगा करुणानिधि को

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : मंगलवार शाम करुणानिधि का चेन्नई के कावेरी अस्पातल में निधन हो गया. वे 94 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे.सोमवार रात से उनकी स्थिति एकाएक बिगड़नी शुरू हो गई थी.जयललिता के निधन के समय पर ये सवाल ज़ोर-शोर से उठा था कि जयललिता का दाह संस्कार क्यों नहीं किया गया?उस समय मद्रास विश्वविद्यालय में तमिल भाषा और साहित्य के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर डॉक्टर वी अरासू ने  बताया था कि इसकी वजह जयललिता का द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना था. द्रविड़ आंदोलन हिंदू धर्म के किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और रस्म में यक़ीन नहीं रखता है.

ब्राह्मणवाद का विरोध

जयललिता भी एक द्रविड़ पार्टी की प्रमुख थीं, जिसकी नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी. चूँकि करुणानिधि भी इस आंदोलन से जुड़े रहे हैं इसलिए उन्हें भी दफ़नाया जाएगा.डॉक्टर वी अरासू ने ये भी बताया था कि सामान्य हिंदू परंपरा के ख़ि़लाफ़ द्रविड़ मूवमेंट से जुड़े नेता अपने नाम के साथ जातिसूचक टाइटल का भी इस्तेमाल नहीं करते हैं.जयललिता से पहले एमजी रामचंद्रन को भी दफ़नाया गया था. उनकी क़ब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी क़ब्र है. अन्नादुरै तमिलनाडु के पहले द्रविड़ मुख्यमंत्री थे.एमजीआर पहले डीएमके में ही थे लेकिन अन्नादुरै की मौत के बाद जब पार्टी की कमान करुणानिधि के हाथों चली गई तो कुछ सालों के बाद वो पुराने राजनीतिक दल से अलग हो गए और एआईएडीएमके की नींव रखी.

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