देश में लाखों डॉक्टर हड़ताल पर, OPD सेवाओं को बंद रखने की अपील

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से 12 घंटे तक रोजमर्रा की चिकित्सा सेवाएं बंद कर दी गई हैं। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) को नई संस्था से बदलने के लिए लाए जाने वाले विधेयक के विरोध में आईएमए आज हड़ताल पर है। 2.77 लाख चिकित्सक आईएमए के सदस्य हैं। बिल के खिलाफ डॉक्टरों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) व दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) खुलकर सामने आ गए हैं। दोनों संगठनों ने भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) को भंग कर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के गठन के प्रस्ताव को मेडिकल शिक्षा व मरीजों के हित के खिलाफ बताया है।



आइएमए के महासचिव डॉ. आरएन टंडन ने कहा कि एनएमसी के गठन का प्रस्ताव आम लोगों व गरीबों के हित के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यदि मौजूदा प्रावधानों के अनुसार एनएमसी का गठन हुआ तो मेडिकल शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और इससे मध्यमवर्गीय व गरीब परिवारों के बच्चे मेडिकल शिक्षा से महरूम हो सकते हैं। टंडन ने कहा कि आयोग के प्रावधानों के अनुसार सरकार निजी मेडिकल कॉलेजों में सिर्फ 40 फीसदी सीटों पर शिक्षा शुल्क लागू कर पाएगी। 60 फीसदी सीटों पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहेगा। उन सीटों पर निजी अस्पताल अपनी मर्जी से शुल्क तय कर सकेंगे। एनएमसी के गठन के बाद मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए किसी के निरीक्षण की जरूरत नहीं पड़ेगी। सुविधाओं के निरीक्षण के बगैर मेडिकल कॉलेज खोले जा सकेंगे।




स्नातकोत्तर की सीटें बढ़ाने व नया विभाग शुरू करने के लिए भी स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी। इसलिए आइएमए ने मांग की है कि आयोग में हर राज्य से एक डॉक्टर को निर्वाचित किया जाना चाहिए। दूसरी ओर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों से स्वास्थ्य सेवाएं और आपातकालीन सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा है। मंत्रालय ने कहा कि यह अनुरोध किया जाता है कि रोगी के स्वास्थ्य देखभाल और आपातकालीन सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाए। मंत्रालय ने यह सलाह एम्स, सफदरजंग अस्पताल और केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों को जारी की। मंत्रालय ने अस्पतालों से एक अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी है।

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