(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए अमेरिका ने 300 मिलियन डॉलर सहायता राशि पर रोक लगा दी है। आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तान की लचर कार्रवाई को देखते हुए ट्रंप प्रशासन ने यह फैसला लिया है। अमेरिकी सेना की ओर से कहा गया है कि जिस तरह से पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने में विफल रहा है, उसे देखते हुए हमने 300 मिलियन डॉलर यानी तकरीबन 2100 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद को रोकने का फैसला लिया है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ़्टिनेंट कर्नल कोनी फॉकनर ने कहा है कि अमेरिकी रक्षा विभाग अब इस राशि का उपयोग आवश्यक प्राथमिकताओं पर करेगा। अमेरिका के इस फैसले के बाद पाकिस्तान की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और बड़ा झटका लगा है।ट्रंप प्रशासन का कहना है कि पाकिस्तान उन चरमपंथियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है, जो पड़ोसी देश अफगानिस्तान में पिछले कई सालों से जंग छेड़े हुए हैं। हालांकि पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार करता रहा है। ऐसे में अब यह कदम को दोनों देशों के बिगड़ते रिश्तों की एक बानगी की तरह देखा जा रहा है।अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अगर पाकिस्तान अपना रवैया बदलता है, तो वह फिर से समर्थन हासिल कर सकता है। बता दें कि इससे पहले भी अमेरीका ने इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान को 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद रद कर दी थी। हालांकि रक्षा मंत्रालय के इस फैसले को अभी अमरीकी संसद की मंजूरी मिलना बाकी है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले पाकिस्तान पर अरबों डॉलरों की मदद मिलने के बावजूद अमेरिका से धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया था। ट्रंप ने कहा था, ‘अमेरिका ने पिछले 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद दी और उसने बदले में झूठ और छल के सिवाय कुछ नहीं दिया। वे सोचते हैं कि अमेरिका के नेता मूर्ख हैं। हम अफगानिस्तान में जिन आतंकियों को तलाश रहे हैं, उन्होंने उन्हें पनाह दी। अब और नहीं।’अमेरिका के इस कदम से पाकिस्तान की नई सरकार और प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ेंगी। इमरान ख़ान ने पिछले महीने ही पाकिस्तान की कमान संभाली है और आर्थिक मोर्चे पर उन्हें जूझना पड़ रहा है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है। मई 2017 में जहां पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 16.4 अरब डॉलर था, वहीं अब ये 10 अरब डॉलर के नीचे पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के कारण चालू खाता घाटा का संकट और गहरा गया है।