मासूम प्रद्युम्न की हत्या में आरोपी बनाए गए अशोक को मंगलवार को बेल मिलने के बाद बुधवार को अशोक अपने घर पहुंचा. गुरुग्राम के घामरोज गांव में स्थित अशोक के घर के साथ-साथ उसके गांव में उत्सव का माहौल है. अशोक को घर लाने के लिए गांव के लोग जेल गए थे, देर रात अशोक अपने घर पहुंचा.
अशोक की मां के आंसू थमने का नाम नही ले रहे. उसकी पत्नी की तबियत अचानक खराब हो जाने के चलते उसे बुधवार सुबह अस्पताल भी ले जाना पड़ा पर अशोक की घर वापसी की खुशी उसके मायूस चेहरे पर साफ झलक रही थी. मुझे पहले से ही पता था वो निर्दोष है, उसने कभी अपने बच्चों पर हाथ तक नहीं उठाया, वो किसी मासूम की हत्या कैसे कर पाएगा, आज मेरे लिए होली-दीवाली का दिन है, मैं ही जानती हूं कैसे ये 74 दिन बीते हैं. हर रात रो के गुजरी है, बच्चे सुबह से ही इंतजार में थे, कल स्कूल भी नहीं जाने की जिद्द कर रहे हैं.
गांव के सरपंच ने कहा, ‘अशोक के घर मे उसकी मां ने अपनी हैसियत के हिसाब से सबसे अच्छा खाना रोटी और दाल बनाया है. चूल्हे पर रोटियां सेंकती मां और बीवी दोनो ही खुश थी कि आज उनके घर का चिराग उनके साथ खाना खाएगा.
अशोक के आने से परिवार के सदस्यों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. और वो आगे भी कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हैं क्योंकि उनके साथ गांव वालों का सपोर्ट है. गांव वाले शुरू से ही परिवार के दुख-सुख में खड़े रहे. हम सब जानते थे कि वो ऐसा काम नही कर सकता है. इसलिए हम उसके साथ थे, हैं, और रहंगे.’ अशोक ने बेल मिलने के बाद घर वापसी पर भगवान और गांव वालों का धन्यवाद दिया और ये भी कहा कि सच की जीत हुई है.