आरोपी वीओआईपी के जरिए फोन करते थे. उन्होंने ऐसी तकनीक बना रखी थी कि जिस शख्स को फोन किया जाता था उसे अमेरिकन इंटरनल रेवेन्यू सर्विसेस (आईआरएस) का नंबर दिखाई देता था.
ठगों ने अमेरिकी अधिकारियों के नाम और बैच नंबर भी हासिल कर रखे थे. वे खुद को अधिकारी बताकर अमेरिकी नागरिकों को फोन करते थे. आरोपियों ने ठगी के लिए बड़ी शातिर तकनीक अपनाई थी. अमेरिकी नागरिकों को बताया जाता था कि उन्होंने सही टैक्स नहीं अदा किया है.
आईआरएस कुछ ही देर में उनके खिलाफ छापेमारी की कार्रवाई शुरू करेगी. कार्रवाई के बाद उन्हें तीन महीने जेल में रहना होगा. सिक्योरिटी नंबर ब्लॉक कर दिया जाएगा. गाड़ी का लाइसेंस रद्द हो जाएगा. नौकरी चली जाएगी.इसलिए यदि बचना चाहते हैं तो 10 हजार डॉलर तुरंत बताए गए खाते में जमा करा दें. कॉल करने वाले युवाओं की 10 से 60 हजार रुपये तक तनख्वाह थी. उन्हें बाकायदा इसके लिए ट्रेनिंग दी जाती थी. सवाल बताए जाते थे. बोगस कॉल सेंटर के कर्मचारियों को पता था कि वोगैरकानूनी काम कर रहे हैं.
इस बाबत अमेरिका से कोई शिकायत नहीं मिली हैं, लेकिन इस रेड के बारे में जानकारी अमेरिकन पुलिस से साझा की जाएगी. शक है अब तक 500 करोड़ से ज्यादा का चूना अमेरिकी नागरिकों को लगा हैं.