(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) :हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने महा परिवर्तन रैली में अपने बयान से सबको चौंका दिया है। उन्होंने कहा कि जब सरकार कुछ अच्छा करती है तो मैं उनका समर्थन करता हूं। मेरे कई सहयोगियों ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले का विरोध किया। हमारी पार्टी ने अपना रास्ता खो दिया है। यह वह कांग्रेस नहीं है जो पहले हुआ करती थी। जब स्वाभिमान और देशभक्ति की बात आती है तो मैं किसी के साथ समझौता नहीं करूंगा। हरियाणा की सियासत के अंदर कांग्रेस के दिग्गज मुख्यमंत्री रहे बंसीलाल और भजनलाल की तरह पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रोहतक में हुई महा परिवर्तन रैली को निर्णायक माना जा रहा था. हालांकि इस दौरान उन्होंने कोई नई पार्टी का एलान नहीं किया। रैली में पूर्व सीएम निर्णय लेंगे कि वे कांग्रेस में रहकर ही अपनी राजनीति आगे बढ़ाएंगे या नई पार्टी का गठन करके प्रदेश के साथ कांग्रेस की राजनीति को नया मोड़ देंगे। हुड्डा समर्थकों ने रैली में भीड़ जुटाने और आलाकमान को ताकत दिखाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। देश व प्रदेश में कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी है। 1966 में प्रदेश बनने के बाद पहले मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा कांग्रेस से ही थे। इसके बाद विशाल हरियाणा पार्टी के राव विरेंद्र सिंह सीएम बने लेकिन लंबा कार्यकाल नहीं खींच सके। बंसीलाल, भजनलान फिर हुड्डा ने लंबी पारी खेली। गैर कांग्रेसी सरकारों में ओपी चौटाला और अब मनोहर लाल सरकार ही कार्यकाल पूरा कर सकी। बंसीलाल ने जहां 90 के दशक में हरियाणा विकास पार्टी गठित की और 1996 में सीएम बने लेकिन बीच में ही सरकार गिर गई। इसके बाद 2004 में भजनलाल के नेतृत्व में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल किया लेकिन हुड्डा सीएम बन गए। भजनलाल ने हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया। हालांकि हजकां ज्यादा कामयाब नहीं हो सकी। भजनलाल के बाद उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी का वापस कांग्रेस में विलय कर दिया। 2014 में हार के बाद से कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर चल रही है। एक तरफ अशोक तंवर प्रदेश अध्यक्ष हैं, दूसरी तरफ हुड्डा का अपना सियासत में रुतबा है। हालांकि पहले मेयर फिर लोकसभा चुनाव में करारी हार से कांग्रेस प्रदेश में संघर्ष कर रही है। अब विधानसभा चुनाव से पहले हुड्डा समर्थक चाहते हैं कि कांग्रेस आलाकमान पूर्व सीएम हुड्डा को पार्टी की कमान दें। तभी भाजपा को टक्कर दी जा सकती है। इसके लिए रोहतक में रविवार को रैली रखी गई है, जिसे महा परिवर्तन रैली का नाम दिया गया है। सियासी हलकों में चर्चाओं का बाजार गरम हैं। कोई रैली को हुड्डा की आला कमान पर दबाव बनाने की रणनीति बता रहा है तो कोई अलग पार्टी गठन की संभावना से इंकार नहीं कर रहा है। देखना ये है कि आगे इस सियासत के खेल में होता क्या हैं ।