(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : कोलकाता के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बुधवार सुबह आग लग गई। अस्पताल में जब आग लगी, तब अंदर 250 मरीज मौजूद थे। इस हादसे में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। लेकिन यदि समय रहते दमकल विभाग हरकत में ना आता, तो सैकड़ों लोगों की जान संकट में पड़ सकती थी। हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब किसी अस्पताल परिसर में आग लगी और मरीजों की जान आफत में आई। इससे पहले दिसंबर 2011 में कोलकाता के ही धकुरिया में स्थित एएमआरआइ अस्पताल में आग लग गई थी। इस हादसे में 92 लोगों की मौत हो गई थी। तब हादसे की वजह अस्पताल द्वारा आग से बचाव के नियमों का पालन करने में लापरवाही बताया गया था।पिछले महीने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में आग लग गई थी। आग अस्पताल की नई OPD बिल्डिंग में आग लगी थी। आग की चपेट में आने से दो रेजिडेंट डॉक्टर व एक नर्स सहित तीन लोग झुलस गए थे। आग केमिकल के अत्यधिक गर्म होने की वजह से लगी थी यानि अस्पताल के कर्मियों की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ। अगर आग पर समय रहते काबू नहीं पाया गया होता, तो बड़ा हादसा हो सकता था।इस साल अगस्त में झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के इमरजेंसी विंग में आग लग गई थी। सभी मरीजों को सुरक्षाकर्मियों ने बाहर निकाला। डिप्टी डायरेक्टर गिरिजा शंकर प्रसाद ने बताया कि यह आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। आग पर जल्द ही काबू पा लिया गया। मरीजों को कोई नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन इस दौरान उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। जिस समय इमरजेंसी वार्ड में आग लगी, वहां करीब 15 मरीजों की चिकित्सकीय जांच चल रही थी।इसी साल जून में हरियाणा के जिला नागरिक अस्पताल मांडीखेड़ा में अचानक आग लगने से लाखों रुपये का नुकसान हो गया, जिसमें करीब एक दर्जन गाड़ी जलने के साथ अन्य सामान जलकर राख हो गया। अस्पताल में खड़ी पुरानी जर्जर एंबुलेंस भी आग की चपेट में आ गई। आग ने इतना भयंकर रूप ले लिया था कि दमकल विभाग की गाड़ी मौके पर नहीं आती, तो दूसरे स्थानों को भी आग अपनी चपेट में ले सकती थी।साल 2016 में भुवनेश्वर के एक एसयूएम निजी अस्पताल के अग्निकांड ने सबको हिला कर रख दिया था। इस अग्निकांड में 23 लोगों की जान चली गई थी। आग की घटना को लेकर आलोचनाओं से घिरे ओडिशा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अतनु सव्यसाची नायक को इस्तीफा भी देना पड़ा था। तब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने अस्पताल का दौरा करने के बाद सुरक्षा व्यवस्था में कमियों की ओर इशारा किया था। लेकिन इसके बावजूद आज भी बड़े अस्पतालों में आग ने निपटने के लिए उचित इंतजाम शायद ही हों।