अरविंद केजरीवाल ने बदला काम का तरीका, मंत्री छोड़ अफसरों को सौंप रहे काम

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्य सचिव एमएम कुट्टी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि दिल्ली के अस्पतालों में दवाओं और दूसरे हेल्थकेअर उत्पाद सप्लाई करने वालों का बकाया भुगतान काफी लंबे समय से नही हो पाया है, जिसके चलते अस्पतालों में दवाओं की किल्लत है. सीएम ने मुख्य सचिव को भुगतान में देरी के कारणों पर 24 घंटे में रिपोर्ट देने को कहा है. साथ ही इसके लिए पूरा सिस्टम बनाने, भुगतान में देरी होने अफसर की जिम्मेदारी तय करने और बकाया पर ब्याज देने की स्तिथि में पैसा संबंधित अफ़सर के वेतन सर काटने के लिए भी कहा है. केजरीवाल ने मुख्य सचिव से सोमवार तक पूरा प्लान मांगा है

वैसे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ भुगतान ना होने पर केजरीवाल ने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी है तो इसके कुछ कारण हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने काम करने का तरीका बदल दिया है. अब वो किसी काम के लिए उस विभाग के मंत्री को बताने या आदेश करने की बजाय संबंधित विभाग के प्रमुख अधिकारी या दिल्ली सरकार के सभी अफसरों के प्रमुख मुख्य सचिव को आदेश या निर्देश देकर काम पर लगाते हैं. इसी तरह उनकी जिम्मेदारी भी तय करने की कोशिश करते हैं.

1. इससे पहले भी जब केजरीवाल ने ये तय किया कि एक जून से सभी मंत्री, मुख्यमंत्री आम जनता से रोजाना सुबह मिलेंगे तो उसमे भी अफसरों को शामिल किया गया और मुख्य सचिव को इससे संबंधित प्लान बनाने और इसको लागू करने निर्देश दिया.

2. अस्पतालों में दवाएं नही मिल रही इस बात का इजहार खुद केजरीवाल ने किया और इस बाबत मुख्य सचिव को चिट्ठी भी लिखी. इसमें कहा गया कि पहले भी इस बारे में पूरी रिपोर्ट देने को मुख्य सचिव को कहा गया था.

3. बरसात से पहले दिल्ली सभी बड़े नालों की सफ़ाई का जिम्मा PWD सचिव को दिया गया. केजरीवाल ने आदेश देकर कहा कि PWD सचिव (यानी IAS अफ़सर) नालों की सफाई निजी तौर पर सुनिश्चित करेंगे. यही नही क्योंकि एलजी ने PWD सचिव को कोआर्डिनेशन कमिटी के प्रमुख बनाया है तो नगर निगम और PWD के नालों में विवाद का निपटारा भी PWD सचिव करेंगे.

दरसअल, बात ये है कि दिल्ली में शासन और प्रशासन अब उपराज्यपाल के हाथ मे है इसलिये अफसर भी बिना किसी संशय या भ्रम के एलजी दफ़्तर या मुख्य सचिव दफ्तर से आदेश लेते हैं और रिपोर्ट करते हैं, जिससे मंत्रियों के हाथ मे ज्यादा कुछ रहता नहीं. जबकि आम जनता या मीडिया मुख्य मंत्री और मंत्रियों से जवाब तलब करती है. ऐसे में अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने, अफसरों से काम करवाने और ज़िम्मेदारी और जवाबदेही मंत्री की बजाय अफसरों पर डालने के लिए केजरीवाल ने गवर्नेंस का ये नया तरीका निकाला है.

इसके लिए निगम चुनाव के बाद आम जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिला वो फीडबैक भी जिम्मेदार है, जिसमें ये निकलकर आया कि सरकार के मंत्री और पार्टी के विधायक आम जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं से कट चुके हैं, आम जनता के काम तो दूर पार्टी के अपने कार्यकर्ताओं के काम नही हो पा रहे और दिल्ली सरकार बनाम केंद्र सरकार की लड़ाई में दिल्ली में विकास कार्य रुकने, आम लोगों के काम ना होने और आये दिन लड़ाई खबरों से आम आदमी पार्टी की छवि एन्टी करप्शन पार्टी से एन्टी मोदी पार्टी की बन गई. इसलिए अब केजरीवाल ने पीएम मोदी पर हमले बिल्कुल बंद कर दिए हैं और लड़ते दिखने की बजाय अफसरों की ज़िम्मेदारी तय करके शासन चलाने का तरीका निकाला है.

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