(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : मध्य प्रदेश के इंदौर में एमजीएम मेडिकल कॉलेज अब भविष्य के डॉक्टरों की खराब हैंड राइटिंग (लिखावट) सुधारने के लिए अलग से कक्षाएं लगाएगा। इसका उद्देश्य मरीजों या केमिस्टों की परेशानी दूर करना नहीं, बल्कि आयुष्मान योजना के क्लेम निरस्त होने का डर है। शुरुआत में यह कक्षाएं मेडिकल के विद्यार्थियों के लिए रहेंगी, लेकिन जल्द ही इन्हें फैकल्टी मेंबर्स के लिए भी शुरू कर दिया जाएगा।23 सितंबर से पूरे देश में लागू हुई आयुष्मान भारत योजना के संबंध में मेडिकल कॉलेज को मिले एक पत्र ने प्रबंधन की नींद उड़ा दी है। इस योजना के अंतर्गत किए गए इलाज के खर्च का क्लेम लेने के लिए कॉलेज को प्रिस्क्रिप्शन और अन्य दस्तावेजों की कॉपी शासन को भेजना है।प्रिस्क्रिप्शन में लिखावट ऐसी होनी चाहिए कि इसे आसानी से पढ़ा जा सके, ताकि पता चल सके कि मरीज का क्या इलाज किया गया। क्या जांचें हुईं और क्या दवाइयां दी गईं, ताकि इसका पैसा कॉलेज के खाते में जमा किया जा सके। पत्र कॉलेज पहुंचते ही मेडिकल स्टूडेंट और फैकल्टी मेंबर्स की राइटिंग सुधारने की कवायद शुरू हो गई है। इस संबंध में स्टूडेंट वेलफेयर कमेटी की बैठक भी हुई है।हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन डॉक्टरों की राइटिंग खराब होने पर उन पर पांच-पांच हजार रुपये की पेनल्टी लगाई थी। खराब राइटिंग की वजह से मेडिकल स्टोर संचालक डॉक्टरों द्वारा लिखा प्रिस्क्रिप्शन पढ़ नहीं सका और मरीज को समय पर दवा नहीं मिल सकी थी। इससे मरीज को परेशानी का सामना करना पड़ा।स्वास्थ्य विभाग ने 2015 में आदेश जारी किया था। इसमें कहा था कि डॉक्टर अब प्रिस्क्रिप्शन सिर्फ कैपिटल लेटर्स में ही लिखेंगे। इसका उद्देश्य था कि केमिस्ट और आम आदमी प्रिस्क्रिप्शन को आसानी पढ़ सकें। आइएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. संजय लोंढ़े के मुताबिक, पिछले साल ही एसोसिएशन ने पत्र जारी कर सदस्यों से कहा था कि या तो वे राइटिंग सुधारें या प्रिस्क्रिप्शन डिजिटल सॉफ्टवेयर सिस्टम से जारी करें, ताकि आम आदमी दवाओं के नाम पढ़ सकें।