ईरान पर प्रतिबन्ध से तेल सप्लाई पर भारत की चिंता पर ओपेक ने दिलाया भरोसा, कहा- भारत को ज़रूरत की तेल सप्लाई की जाएगी।

ईरान पर 4 नवंबर से अमेरिकी प्रतिबंध लागू होंगे। इससे वहां तेल उत्पादन घटने की आशंका है। वेनेजुएला में राजनीतिक संकट की वजह से वहां भी प्रोडक्शन में कमी आई है।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) :  तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक ने इस बात का भरोसा दिया है कि तेल आपूर्ति में कमी नहीं आएगी। ओपेक के महासचिव मोहम्मद बरकिंदो ने गुरुवार को कहा कि भारत ने चिट्ठी लिखकर क्रूड की मौजूदा कीमतों पर चिंता जताई थी। इस बारे में 17 अक्टूबर को भारत से बात की जाएगी। लंदन में ऑयल एंड मनी कॉन्फ्रेंस के दौरान बरकिंदो ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए ओपेक प्रोडक्शन कितना बढ़ाएगा?  कच्चे तेल का रेट 82 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। यह नवंबर 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। भारत को इसका काफी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यहां पेट्रोल-डीजल के रेट लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार ने 4 अक्टूबर को पेट्रोल-डीजल पर 1.5 रुपए एक्साइज ड्यूटी घटाई। तेल कंपनियों ने 1 रुपया कम किया। इस तरह ग्राहकों को 2.5 रुपए की राहत मिली। लेकिन, लगातार कीमतें बढ़ने और रुपए में गिरावट से सरकार का कदम बेअसर साबित हो रहा है। ईरान पर 4 नवंबर से अमेरिकी प्रतिबंध लागू होंगे। इससे वहां तेल उत्पादन घटने की आशंका है। वेनेजुएला में राजनीतिक संकट की वजह से वहां भी प्रोडक्शन में कमी आई है। इन वजहों से क्रूड के रेट बढ़ रहे हैं। सऊदी अरब और रूस ने वेनेजुएला में कम उत्पादन की भरपाई के लिए अपने यहां तेल उत्पादन बढ़ाने के संकेत दिए थे। लेकिन, कारोबारियों का मानना है कि सऊदी अरब इस काम में तेजी नहीं दिखा रहा। ओपेक के महासचिव बरकिंदो का कहना है कि ऑयल मार्केट में संतुलन का हमेशा ध्यान रखा जाता है। लेकिन, सप्लाई घटने की आशंका में रेट बढ़ रहे हैं। जबकि, आपूर्ति में कोई कमी नहीं है। विएना में 23 अक्टूबर को ओपेक की बैठक में उत्पादन और आपूर्ति के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। नॉन-ओपेक देशों के अधिकारी 7 नवंबर को बैठक करेंगे। दिसंबर तक पूरी योजना तैयार होने की उम्मीद है।

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