हिमाचल प्रदेश: कुल्लू में रघुनाथ जी की रथयात्रा में आंशिक विघ्न के बावजूद, भव्य रहा आयोजन।

रघुनाथ की होली शुरू, 40 दिनों तक फैंका जाएगा गुलाल।

(न्यूज़ लाइव नाऊ) कुल्लू: वसंत पंचमी के पावन अवसर पर हर वर्ष की भान्ति ‘भगवान रघुनाथ’ की रथयात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया। सोमवार को वसंत पंचमी की शुरुआत होते ही रघुनाथ की नगरी में होली शुरू हो गई है जो आगामी 40 दिनों तक खेली जायेगी। ज्ञात हो कि पवित्र तीर्थ मणिकर्ण में भी वसंत पंचमी का त्योहार बढ़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस अवसर पर भगवान् श्रीराम को पालकी में बैठाकर मेला मैदान में लाया गया और वशिष्ट कुंड तक रथयात्रा को ले जाया गया। जहाँ राम भरत मिलाप किया गया। वहीँ कुल्लू में वसंत पंचमी का त्योहार अपना विशेष महत्त्व रखता है।
इस दौरान दशहरा पर्व के अतिरिक्त एक बार फिर भगवान रघुनाथ जी की पालकी ढालपुर मैदान लाई गई। मैदान पहुँच कर भगवान श्री राम रथ में सवार हुए। सैकड़ों लोगों ने पवित्र रथ को खींच कर पुण्य अर्जित किया और जयघोषों के साथ राम भरत मिलन का आनंद लिया। रघुनाथ जी की रथ यात्रा के साथ सोमवार को वसंतोत्सव का पर्व शुरू हुआ। इस रथ यात्रा के दौरान कुछ देर के लिए बीच में रथ यात्रा में आंशिक विघ्न भी पड़ा। जानकारों का कहना है कि कुल्लू के इतिहास में दूसरी बार किसी कारण रथ यात्रा बीच में इस प्रकार रुकी है।

रथ यात्रा के रुकने का कारण इस बार केबल की तार बनी है, जो रथ के छत्र में जा फंसी, जिस कारण रथ को बीच में ही रोकना पड़ा। काफी जद्दोजहद के बाद तार को से रथ के छत्र से हटाया गया। इससे पहले एक बार पूर्व सीएम ‘वीरभद्र सिंह’ ने दशहरा पर्व के दौरान बीच में ही रथ को दर्शन के लिए रोका था और उन्होंने यात्रा के दौरान ही बीच में रथ रोककर जहां रघुनाथ के दर्शन किए और माथा टेका था।

इसके बाद देवसमाज में भारी विवाद हो गया था कि तत्काल सीएम ‘वीरभद्र सिंह’ ने सत्ता का प्रयोग करते हुए रथ को बीच में ही रोका। यह विवाद कई दिनों तक चला था। लेकिन, इस बार केवल की तार फंस जाने से रथ यात्रा को बीच में रोकना पड़ा।

ढालपुर मैदान में लोगों ने जहां कहीं केवल की तारें बिछा रखी हैं, जिस कारण यह घटना घटी। इस बार खास बात यह रही कि भगवान त्रिजुगी नारायण बसंत पंचमी की रथ यात्रा में शरीक हुए। ज्ञात हो कि बसंत पंचमी के बाद अधिष्ठाता रघुनाथ को अगले 40  दिनों तक हर दिन गुलाल फैंका जाता है, इस आयोजन के बाद यह क्रम शुरू हो गया है। होली से 8 दिन पूर्व यहां होलाष्ठक का भी आयोजन होगा। देशभर में मनाई जाने वाली होली से एक दिन पूर्व ही कुल्लूू में होली खेलने की रस्म अदा की जाती है।

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