(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : जब भी आप किसी बैंक में सेविंग अकाउंट खुलवाते हैं तो बैंक की तरफ से आपको एक एटीएम कार्ड दिया जाता है। इस एटीएम की मदद से आप एटीएम मशीन से जब चाहे अपने खाते में पड़ा पैसा निकाल सकते हैं। एटीएम हमारे काफी सारे काम को आसान कर देता है। आप इससे ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं, होटल में बिल पेमेंट कर सकते हैं और किराने की दुकान में बिलिंग भी करवा सकते हैं। लेकिन आप यह बात शायद ही जानते होंगे कि एटीएम कार्ड धारकों को इंश्योरेंस कवर भी मिलता है। अगर आप यह बात नहीं जानते हैं तो यह खबर आपके काम की है। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको इसकी विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
इंश्योरेंस कवर का दायरा: लगभग सभी बैंक फिर वो चाहे सार्वजनिक क्षेत्र (सरकारी) के हों या फिर निजी क्षेत्र (प्राइवेट) के चालू बैंक खाते पर ग्राहक को एक्सीडेंटल हॉस्पिटलाइजेशन कवर या एक्सीडेंटल डेथ कवर देते हैं। इस क्राइटेरिया के तहत दिए जाने वाले कवर की रेंज 50,000 से दस लाख रुपए तक होती है। हालांकि कुछ बैंक क्रेडिट कार्ड पर भी कवर की सुविधा देते हैं। हालांकि इसके लिए आपको अपना बैंक खाता चालू रखना होगा।
अगर किसी एटीएम होल्डर की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को दो से पांच महीनों के भीतर बैंक की उस ब्रांच को जानकारी देनी होगी जहां उसका अकाउंट है। उसी ब्रांच में मुआवजे का एप्लीकेशन देना होगा। मुआवजा देने के पहले बैंक यह चेक करेगा कि संबंधित व्यक्ति ने 60 दिनों के अंदर वित्तीय लेनदेन किया है या नहीं। इस इन्श्योरेंस के तहत विकलांगता से लेकर मौत होने तक पर अलग-अलग तरह के मुआवजे का प्रावधान है। साधारण एटीएम, मास्टरकार्ड, क्लासिक एटीएम पर अलग-अलग तरह की मुआवजा राशि मिलती है। इतना ही नहीं आप बैंक में जाकर यह पता कर सकते हैं कि आपके कार्ड पर कितने का बीमा कवर मिला हुआ है।
इस तरह के इंश्योरेंस को क्लेम करने के लिए जिस व्यक्ति का एक्सीडेंट हुआ है या मृतक से जुड़े सभी डॉक्युमेंट्स का होना जरूरी होता है। संबंधित व्यक्ति अगर अस्पताल में है तो उसके सभी मेडिकल डॉक्युमेंट भी पेश करने होते हैं। इसके अलावा अगर उसकी मृत्यु हो गई है तो उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पुलिस रिपोर्ट, डेथ सर्टिफिकेट और ड्राइविंग लाइसेंस भी उपलब्ध करवाने होते हैं।