गुजरात: बीजेपी के टिकट के लिए लगी मुस्लिमों की लाइन, क्या बदलेगी भाजपा की इमेज?

अहमदाबाद 
वर्ष 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी छवि बदलने के प्रयासों के तहत अल्पसंख्यक मुस्लिमों को आकर्षित करने के इरादों से सद्भावना मिशन की शुरुआत की थी, जिसमें मुस्लिम भी बड़ी संख्या में उमड़े थे। हालांकि यह मिशन अगले ही वर्ष फेल हो गया जब 2012 के चुनावों में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया। अब 5 सालों के बाद मुस्लिम नेता कुछ ‘असली सद्भावना’ की तलाश में लगे हुए हैं।

बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने आगामी विधानसभा चुनावों में कई सीटों की मांग की है। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रभारी महबूब अली चिश्ती ने कहा कि 2015 में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में करीब 350 मुस्लिमों ने जीत दर्ज की थी, वे विधानसभा चुनावों में भी जीतने का माद्दा रखते हैं। मुस्लिम नेताओं ने जमालपुर-खडिया, वेजालपुर, वागरा, वान्कानेर, भुज, अबदासा सीटों के लिए सीटों की मांग की है।

61 फीसदी मुस्लिमों की आबादी वाली जमालपुर-खाडिया सीट के लिए बिल्डर उस्मान गांची ने आवेदन किया है। करीब एक दशक से बीजेपी के साथ जुड़े उस्मान के आवेदन पर 5 मौलवियों ने साइन किया है। उन्होंने कहा, ‘मुझे बीजेपी में हमेशा से सम्मान मिला है। अगर मौका मिला तो मैं पार्टी के लिए सीट जीतूंगा। बीजेपी एक मजबूत काडर आधार वाली पार्टी है, जिसकी लीडरशीप भी मजबूत है। योग्यता साबित करने के लिए मेरे पास जनता का सपॉर्ट है।’

ऐसे ही पूर्व आईपीएस अधिकारी ए आई सैय्यद ने कहा, ‘मैं पिछले 9 सालों से बीजेपी से जुड़ा हुआ हूं। अगर बीजेपी ने मुझ पर भरोसा दिखाया तो मैं निश्चित तौर पर चुनाव जीतूंगा।’ सैयद, गुजरात वक्फ बोर्ड के चैयरमैन रह चुके हैं। गुजरात में 1980 से अभी तक बीजेपी ने केवल 1 बार (1998) ही मुस्लिम को टिकट दिया गया है।

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