गुजरात में भाजपा में खत्म होगा मुस्लिम प्रत्याशियों का सूखा?

करीब तीन दशक से गुजरात विधानसभा में मुस्लिम प्रत्याशियों का लगभग सूखा पड़ा हुआ है। भाजपा ने तो 1980 से लेकर अब तक केवल एक बार 1998 में ही एक मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया था। ऐसे में इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के कई दिग्गज नेता पार्टी पर चुनाव मैदान में उतारने को लेकर दबाव बनाने में जुटे हुए हैं।

मोदी ने किया था मुस्लिमों को आकर्षित करने का प्रयास
यहां बता दें कि गोधराकांड के बाद बनी मुस्लिम विरोधी छवि को तोडऩे के लिए नरेंद्र मोदी ने 2010 में सद्भावना रैली निकालने के साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव में सबका साथ सबका विकास नारा देकर भाजपा के प्रति मुस्लिमों को आकर्षित करने का प्रयास किया था। इसके बाद प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी ने कहा है कि वह देश की सवा अरब आबादी के प्रधानमंत्री हैं, सिर्फ किसी एक ही जाति या समुदाय के प्रधानमंत्री नहीं है। हालांकि यह अलग बात है कि लोकसभा चुनाव में गुजरात से भाजपा का कोई भी मुस्लिम नेता संसद में नहीं पहुंचा है। यही नहीं 2012 के चुनाव में भी भाजपा ने किसी भी मुस्लिम नेता को प्रत्याशी नहीं बनाया था। ऐसे में इस बार मुस्लिम नेताओं ने एक बार फिर पार्टी में टिकट के लिए दावेदारी करने शुरू कर दी है।

बढ़ सकती है भाजपा की जीत की संभावना 
भाजपा मुस्लिम मोर्चा ने इस बार गुजरात विधानसभ चुनाव में कुछ सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारने की पार्टी हाईकमान से मांग की है। राज्य में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख महबूब अली चिस्ती कहते हैं कि मौजूदा समय में कई ऐसे मुस्लिम नेता उभर कर सामने आए हैं जो कि गुजरात में भाजपा के लिए सीट जीतने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व के सामने कई अल्पसंख्यक नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी की है, हालांकि आखिरी फैसला पार्टी नेतृत्व ही करेगा। कहा कि जमालपुर खडिय़ा विधानसभा क्षेत्र में करीब 61 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, जहां मुस्लिम प्रत्याशी उतारने से भाजपा की जीत की संभावना काफी हद तक बढ़ सकती है। इसी तरह से राज्य में कई अन्य विधानसभा सीटें भी हैं, जहां से यदि मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा जाए तो भाजपा निश्चित रूप से बेहतर प्रदर्शन करेगी।

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