‘ग्लोबल टाइम्स’ के मुताबिक, भारत और अमेरिका की आर्थिक नीतियों ने प्रतियोगिता बढ़ा दी है. इससे चीनी कारोबार पर सीधा असर पड़ा है. भारत अपने घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए संरक्षणवादी कदम उठा रहा है. अखबार ने लिखा कि भारत और अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर सबसे ज्यादा जांच बिठाई है, ऐसे में चीन के अधिकारियों को नई दिल्ली और वॉशिंगटन पर दबाव बनाना चाहिए. ‘ग्लोबल टाइम्स’ के मुताबिक, चीन दुनिया में सबसे बड़ा निर्यातक है साथ ही भारत और अमेरिका उसके सबसे बड़े साझीदार हैं.
चीन के अड़ियल रवैये के चलते न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की एंट्री में रुकावट के बाद से देश में चाइनीज प्रोडक्ट्स की बिक्री पर बैन की मांग जोरों पर हैं. पाक अधिकृत कश्मीर में किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन भारत के खिलाफ जाकर पाकिस्तान का सपोर्ट कर रहा है. इससे भारत में चीन का विरोध होना शुरू हो गया है.
भारतीय बाजारों में मेड इन चाइना के सामानों की बिक्री कम हो गई है. चीनी सामग्री के बहिष्कार से उन व्यापारियों को फायदा होने लगा है, जो दिल्ली मेड आइटम बेचते हैं. वहीं ब्रांडेड कंपनियों के माल की बिक्री भी ज्यादा होने लगी है.