नई दिल्लीः चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच भारत अब अपनी समुद्री ताकत में इजाफा करने में जुटा है. जल्द ही भारतीय नौसेना को दुनिया के खतरनाक युद्धपोतों में शुमार पनडुब्बी आईएनएस कलवरी मिलने वाली है. INS कलवरी भारत का सबसे घातक जंगीबेड़ा माना जा रहा है. भारतीय नौसेना इसे समुद्र में उतारने की तैयारी में जुट गई है. आपको बता दें कि यह सबमरीन (पनडुब्बी) दुनिया के सबसे खतरनाक जंगीबेड़े में शुमार है, जो छुपकर दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है.
दिलचस्प बात यह है कि यह सबमरीन (INS कलवरी) इतने गुपचुप तरीके से हमला करती है कि दुश्मन को भनक भी नहीं लगती है. इसी के चलते इसका नाम समुद्री मछली शार्क ‘कलवरी’ के नाम पर रखा गया है. स्कॉर्पियॉन क्लास की ये पनडुब्बी भारत को पानी के अंदर युद्ध करने की बेशुमार ताकत प्रदान करेगी. भारत की सरकारी कंपनी मंझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस मिलकर 3 अरब 70 करोड़ डॉलर की लागत से 6 पनडुब्बियां बना रही हैं. इस सीरीज की ये पहली पनडुब्बी है. बता दें कि चीनी नौसेना के पास ऐसी 60 पनडुब्बियां हैं, जबकि भारत के पास फिलहाल ऐसी 15 पनडुब्बी है. इसकी कमीशनिंग इसी महीने में किये जाने की संभावना है. इससे पहले इसे सितंबर 2016 के आसपास कमीशन किया जाना था. लेकिन इसमें देरी हो गई.
INS कलवरी की 10 खासियत
1. देश की अब तक की सबसे आधुनिक पनडुब्बी मानी जा रही है.
2. 20 नॉटिकल यानी 35-40 किलोमीटर तक इसकी लोकेशन का पता नहीं किया जा सकेगा
3. इसकी लंबाई है 67 मीटर, चौड़ाई है 6.2 मीटर
4. यह पनडुब्बी बिल्कुल भी आवाज नहीं करती है, यहां तक कि दुश्मन के जहाज के नीचे से निकल जाने पर भी उसे इसकी भनक नहीं लगेगी
5. कलवरी पानी में 350 मीटर की गहरायी तक जा सकती है
6. पानी में करीब 40 दिन तक रह सकती है
7. 20 नॉटिकल प्रति घंटा इसकी रफ़्तार है.
8. एक बार में 12 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकती है
9. गाइडेड हथियारों से सटीक हमला करने में सक्षम
10. इसमें एक बार में 18 टॉरपीडो लोड किए जा सकते हैं
आपको बता दें कि चीन द्वारा हिन्द महासागर के पश्चिमी किनारे जिबूती में जुलाई महीने से अपना सैन्य अड्डा आधिकारिक रुप से शुरू करने के बाद भारत के लिए चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं. यहीं नहीं चीन द्वारा पाकिस्तान और बांग्लादेश को सबमरीन बेचने से भी भारत को समुद्र में अपनी रक्षा तैयारियों को बढ़ाना जरूरी हो गया है. आईएनएस कलवरी भारत की और से चीन समेत पड़ोसी देशों की चुनौतियों और रक्षा तैयारियों का जवाब है.