(एनएलएन मीडिया-न्यूज़ लाइव नाऊ): गुरुवार के कारोबार में रुपया 12 पैसे सुधरकर 68.30 पर खुला है। वहीं बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 38 पैसे टूटकर 68.42 पर बंद हुआ, जो कि रुपये का बीते 18 महीने का निचला स्तर था। इससे पहले रुपया 29 नवंबर 2016 को 68.65 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। आपको जानकारी के लिए बता दें कि 15 मई 2018 को रुपये ने 68 का स्तर पार कर लिया था। इस दिन 67.79 पर खुला रुपया 56 पैसे टूटकर 68.07 पर बंद हुआ। यह रुपये का 16 महीने का निचला स्तर था। विशेषज्ञों का मानना है कि अप्रैल तिमाही के दौरान ही रुपया डॉलर के मुकाबले 70 के स्तर को पार कर सकता है।रुपये में इस कमजोरी के कारण: केडिया कमोडिटी के प्रमुख अजय केडिया ने बताया कि रुपये की हालिया कमजोरी के पीछे के कई प्रमुख कारण हैं जो कि निम्न हैं…सरकार के डेफिसिट यानी घाटे का बढ़ा हुआ होना: सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.3 फीसद तक नियंत्रित करना चाहती है। पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.5 फीसद रहा था। व्यापार घाटा बढ़ने की वजह से और चालू खाता घाटा का दायरा बढ़ने से भी रुपये की सेहत पर असर देखने को मिलता है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रूड की बढ़ती कीमतें चालू खाता घाटा (सीएडी) के लिए चिंताजनक हैं और ये इसे जीडीपी के अनुपात में 2.5 फीसद तक ले जा सकती हैंडॉलर का मजबूत होना: अगर डॉलर मजबूत होता है जाहिर तौर पर रुपया कमजोर होगा। बीते कुछ दिनों से डॉलर इंडेक्स में मजबूती देखने को मिल रही है। डॉलर इंडेक्स में फिलहाल तेजी देखने को मिल रही है। माना जा रहा है कि इसमें आगे भी तेजी देखने को मिल सकती है।क्रूड की कीमतों में इजाफे का जारी रहना: क्रूड की कीमतों में तेजी थमने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में ब्रेंट क्रूड ने 80 डॉलर प्रति बैरल का स्तर छू लिया था। अभी भी यह 80 डॉलर प्रति बैरल के आस पास ही कारोबार कर रहा है। क्रूड की बढ़ी हुआ कीमतें भी रुपये की हालत को पतला किए हुए हैंअप्रैल के पूर्व महीनों में जीएसटी कलेक्शन का कम रहना: अगर अप्रैल महीने को छोड़ दिया जाए तो बीते महीनों में जीएसटी कलेक्शन काफी कम रहा है, इसने भी रुपये को कमजोर करने का काम किया है। अप्रैल महीने के दौरान पहली बार जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1 लाख करोड़ के पार गया था।फेड रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत: अजय केडिया ने बताया कि अमेरिका में इनफ्लेशन का 2 फीसद का टार्गेट पूरा हो गया है। ऐसे में वहां फेड रिजर्व तीन से ज्यादा बार भी ब्याज दरों में इजाफा कर सकती है। ऐसा होने पर डॉलर इंडेक्स में और मजबूती आएगी।
अजय केडिया ने बताया कि अगर सिर्फ मई महीने की बात की जाए तो इस महीने रुपये का निचला स्तर 67.20 और उच्चतम स्तर 69.40 रह सकता है, यानी इस महीने रुपये के 70 का लेवल पार करने की संभावनाएं कम हैं। हालांकि अगर अप्रैल तिमाही की बात की जाए तो इस तिमाही में रुपये का निचला स्तर 66.40 का और उच्चतम स्तर 70.20 का रह सकता है।आपके मन में भी अक्सर यह सवाल आता होगा कि आखिर ये रुपया कमजोर क्यों होता है? जितना आसान यह सवाल है उतना ही आसान इसका जवाब भी है। ब्रोकिंग फर्म कार्वी कमोडिटी के हेड रिसर्च डॉ. रवि सिंह ने बताया कि इसके कई कारण होते हैं।एफआईआई का भारतीय बाजारों से पैसा खींचना: विदेशी निवेशक जिन्हें एफआईआई (FII) भी कहा जाता है जब अपना रुपया भारतीय बाजार से निकालते हैं, तो डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कमजोर हो जाती है। बीते एक माह में विदेशी निवेशकों ने दो बिलियन डॉलर से अधिक रकम भारतीय शेयर बाजार से निकाली है। इसी कारण रुपये में कमजोरी जारी है।
क्रूड की कीमतों का भाव: भारत अपनी जरूरत के कच्चे तेल के लिए 80 फीसद आयात पर निर्भर रहता है। ऐसे में जब क्रूड की कीमतें बढ़ेंगी लिहाजा भारत को अपने फॉरेक्स रिजर्व से ज्यादा डॉलर खर्च करने होंगे। यानी भारत के पास रिजर्व डॉलर कम होगा और यह रुपये के कमजोर होने का प्रमुख कारण होता है। वहीं अगर डॉलर मजबूत होता है तो देश का निर्यात भी प्रभावित होता है।रुपये की मौजूदा कमजोरी के अन्य कारण: रुपये की मौजूदा कमजोरी के अगर अन्य कारणों की बात की जाए तो इसके लिए चीन और अमेरिका के बीच जारी ट्रेड वार की स्थिति को माना जा सकता है। हालांकि अब ट्रेड वार के संबंध में दोनों देशों ने नरमी दिखाई है। लेकिन अन्य ईरान, वेनेजुएला एवं अन्य देशों के कारण बढ़ रही जियो पॉलिटिकल टेंशन भी रुपये की स्थिति को कमजोर करने का काम कर रही है। वहीं कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बनी अस्थायी सरकार भी रुपये की स्थिति को कमजोर कर रही है। जब भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में दिख रही थी तब रुपये में मजबूती भी देखने को मिली थी।