नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में साझे रूप से सरकार चला रही पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार को धारा 370 पर खुली चुनौती दी है. गुरुवार को एक रैली में अब्दुल्ला ने कहा कि जान दे देंगे, लेकिन धारा 370 नहीं हटने देंगे.
धारा-370 हटाई तो बेकाबू हो जाएंगे हालात
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि धारा 370 हटाई तो कश्मीर में हालात बेकाबू हो सकते हैं. बेशक अब्दुल्ला का ये स्टैंड नया नहीं, मगर अबकी बार फारूक अब्दुल्ला के निशाने पर सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी है. फारूक के बयान के बाद जम्मू कश्मीर में गठबंधन सरकार चला ही बीजेपी के लिए मजबूरी हो गई है कि वो 370 पर अपनी स्थिति फिर साफ करे.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने रैली में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सेना हमारी मालिक नहीं है, सेना से डरो मत. शांति इधर भी चाहिए-अमन उधर भी चाहिए. उन्होंने कहा कि वाया कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती वक्त की जरूरत है.
धारा-370 पर पीडीपी और एनसी के सुर समान
गौर करने वाली बात ये है कि धारा 370 पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी पीडीपी का रवैया भी वही है, जो फारूक अब्दुल्ला की पार्टी का है. फारूक के बाद अलगाववादी, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और आतंकी भी धारा-370 को लेकर यही स्टैंड रखते हैं. साफ है कि जम्मू-कश्मीर की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों का विचार केंद्र सरकार के विचार से मेल नहीं खाता है.
दिनेश्वर और उमर की मुलाकात
दूसरी ओर जम्मू एवं कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त विशेष वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा ने बुधवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की. उमर ने कहा कि यह बैठक निजी प्रकृति की अधिक थी. अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, “दिनेश्वर शर्मा से मैंने अपने आवास पर मुलाकात की… हमने राज्य में मौजूदा स्थिति और राज्य में उनके दौरे को और अर्थपूर्ण बनाने के लिए जरूरी कदम उठाने पर चर्चा की.”
अंजाम तक पहुंचे वार्ताः उमर अब्दुल्ला
नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कहा, “वह मुझसे मिलने आए. उन्होंने संदेश भिजवाया था कि वह मुझसे मिलना चाहते हैं.” अब्दुल्ला ने कहा, “उन्होंने अपने अभियान को सफल बनाने के लिए मुझसे मेरे विचार मांगे. जो भी मैंने उन्हें कहा वह हमारे और उनके बीच है, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि जैसा मैंने उन्हें सलाह दी है, वह उसपर काम करेंगे.”
अब्दुल्ला ने कहा कि अतिथि गृह में ठहरने और लोगों के यहां आकर उनसे मुलाकात करना, मददगार साबित नहीं होगा. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि वार्ता अपने अंजाम तक पहुंचे, ताकि लोग शांति से रह सकें.”
अलगाववादियों ने मिलने से किया मना
इस बीच शर्मा ने कहा, “वह अलगाववादी नेताओं से मुलाकात करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. अभी तक मुझे मेरे दौरे के दौरान अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. अलगाववादी नेताओं ने हालांकि बयान जारी कर उनसे मुलाकात करने से मना कर दिया है.”