विशेष सीबीआई अदालत टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में 21 दिसंबर को फैसला सुनाएगी। अनुमान के मुताबिक, यह घोटाला करीब 1.76 लाख करोड़ का है। इस मामले में डीएमके सांसद कनिमोझी और पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा मुख्य आरोपी हैं। इसके अलावा कई कारोबारी व कंपनियां भी इस मामले में आरोपी हैं।
पटियाला हाउस अदालत के विशेष सीबीआई जज ओपी सैनी ने टूजी स्पेेक्ट्रम घोटाले में साक्ष्यों, दलीलों व दस्तावेज का अध्ययन करने के बाद मंगलवार को फैसला 21 दिसंबर को सुबह 10:30 बजे सुनाने की बात कही।
इस दिन फैसला सुनने के लिए आरोपियों, वकीलों व मीडियाकर्मियों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। सीबीआई ने इस मामले में दो केस दर्ज किए थे। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी एक केस दर्ज किया था।
सीबीआई अदालत ने अक्तूबर 2011 में भारतीय दंड संहिता के तहत धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने व इस्तेमाल करने, सरकारी पद के दुरुपयोग, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराओं में आरोप तय किए थे। इस मामले में दोषी पाए जाने पर आरोपियों को छह माह से लेकर उम्र कैद तक सजा हो सकती है।
पेश मामले में एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग ने लूप टेलीकॉम को स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली का आरोप लगाते हुये चार मई 2009 को केंद्रीय सतर्कता आयोग को शिकायत दी थी। इसके बाद अरुण अग्रवाल ने 19 मई 2009 को आयोग में शिकायत देकर स्वान टेलीकॉम को स्पेक्ट्रम आवंटन में धांधली का आरोप लगाया था।
इन शिकायतों पर सतर्कता आयोग ने सीबीआई को जांच करने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने प्रारंभिक जांच के बाद दूरसंचार विभाग के अज्ञात अधिकारियों, कारोबारियों, टेलीकॉम कंपनियों और अन्य लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता व भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी।