भारतीय रेलवे प्रभावी और पारदर्शी कामकाज सुनिश्चित करने के लिए मालगाड़ी के डिब्बों, यात्री कोचों और इंजनों की निगरानी के लिहाज से रेडियो-आवृत्ति वाले पहचान टैग (आरएफआईडी) का इस्तेमाल करेगा। व्यापक तौर पर सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए रेलवे ने सभी वैगन में आरएफआईडी टैग लगाकर इस प्रणाली की शुरूआत करने का निर्देश दिया है। रेलवे में मालगाड़ियों के करीब सवा दो लाख डिब्बे, यात्री गाड़ियों के 50,000 डिब्बे और 90,000 इंजन हैं।
रेलवे ने इस प्रणाली के पहले चरण के लिए 57 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) द्वारा डिजाइन किये गये टैग की अनुमानित कीमत 1000 रुपए प्रति टैग हो सकती है। आरएफआईडी उपकरणों का इस्तेमाल करके रेलवे के लिए यह पता लगाना आसान होगा कि उसके डिब्बे और इंजन की स्थिति क्या है। फिलहाल यह जानकारी हाथ से लिखकर रखी जाती है जिसमें त्रुटियों की संभावना होती है।
आरएफआईडी टैग डिब्बों में लगाये जाएंगे, वहीं पटरियों पर इनकी स्थिति का पता लगाने वाले उपकरण स्टेशनों पर लगाये जाएंगे।
इस तरह से हर डिब्बे का पता लगाया जा सकता है और उसकी आवाजाही पर निगरानी रखी जा सकती है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आरएफआईडी के इस्तेमाल से रेलवे में वैगन, कोच और इंजनों की कमी की समस्या को और अधिक पारदर्शी तथा तीव्र प्रक्रिया से निपटाया जा सकता है। इन टैग की कार्यावधि 25 साल तक होगी। पायलट परियोजना के तौर पर रेलवे ने विशाखापत्तनम-तलचेर-पारादीप सेक्शन पर आरएफआईडी प्रणाली की शुरूआत की है।