(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : भारतवंशी अमेरिकी सांसद तुलसी गबार्ड 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की योजना बना रही हैं। उनके करीबी सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है। तुलसी 2013 से अमेरिका के हवाई राज्य से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट सांसद हैं। वे अमेरिकी संसद में जगह बनाने वाली पहली हिंदू भी हैं। लॉस एंजिलिस में शुक्रवार को एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर संपत शिवांगी ने तुलसी का परिचय बताते हुए उन्हें 2020 में राष्ट्रपति पद का दावेदार बताया। इस पर दर्शकों ने काफी देर तक तालियां बजाईं। हालांकि, खुद तुलसी ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी पर कोई बयान नहीं दिया। माना जा रहा है कि उनकी दावेदारी पर क्रिसमस के बाद फैसला लिया जा सकता है। हालांकि, स्थितियों को देखते हुए तुलसी इसके आधिकारिक ऐलान में एक साल तक का समय ले सकती हैं। इसी बीच दावा किया गया है कि तुलसी और उनकी टीम ने पहले ही वोटर्स और दानदाताओं के बीच राष्ट्रपति पद की संभावित उम्मीदवार के तौर पर पहुंचना शुरू कर दिया है। उनके अभियान में भारतीय-अमेरिकियों को प्रमुख तौर पर टारगेट किया जा रहा है। तुलसी गबार्ड पहले ही भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के बीच लोकप्रिय हैं। भारतीय-अमेरिकियों का समूह यहूदी अमेरिकियों के बाद देश का सबसे प्रभावशाली और अमीर ग्रुप माना जाता है। इसी वजह से वे अमेरिका के 50वें राज्य हवाई से लगातार जीत दर्ज करती आ रही हैं। चार बार की सांसद तुलसी भारत अमेरिका के संबंधों की बड़ी समर्थक हैं। वे फिलहाल हाउस की ताकतवर आर्म्ड सर्विस कमेटी और विदेश मामलों की कमेटी की सदस्य हैं। गबार्ड का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन हिंदू हैं। इसी के चलते तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म की अनुयायी रही हैं। अगर गबार्ड राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करती हैं तो वे किसी बड़े राजनीतिक दल की ओर से व्हाइट हाउस के लिए खड़ी होने वाली पहली हिंदू उम्मीदवार होंगी। साथ ही अगर वे चुनी जाती हैं तो अमेरिका की पहली महिला और सबसे युवा राष्ट्रपति का तमगा भी हासिल कर सकती हैं। शुक्रवार को कार्यक्रम में तुलसी को राष्ट्रपति पद का दावेदार बताने वाले डॉक्टर शिवांगी खुद एक रिपब्लिकन नेता हैं। हालांकि, उन्होंने पहली बार 2012 में तुलसी के चुनाव लड़ने के लिए फंड जुटाया था। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं, जिन्होंने भगवत गीता के नाम पर शपथ ली थी।