दिल्ली में आ सकती है अब तक की सबसे बड़ी बाढ़।

1978 में यमुना में सबसे बड़ी बाढ़ आई थी और तब हरियाणा से 7 लाख क्यूसेक ही पानी छोड़ा गया था। यमुना नदी का जलस्तर सोमवार सुबह 9 बजे 204.70 मीटर पर पहुंच चुका था।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : राजधानी दिल्ली में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। विभिन्न इलाकों को बाढ़ और संभावित तबाही से बचाने के लिए दिल्ली सरकार अलर्ट मोड में है। यमुना पहले ही खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। रविवार को रेकॉर्ड मात्रा में छोड़ा गया पानी आज शाम तक राजधानी पहुंच जाएगा, इससे जलस्तर और बढ़ेगा। हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से रविवार को 8.72 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, यह आज शाम तक दिल्ली पहुंच जाएगा। दिल्ली की तरफ 40 साल बाद इतना पानी छोड़ा गया है। यमुना में इतना पानी अबतक नहीं छोड़ा गया था। 1978 में यमुना में सबसे बड़ी बाढ़ आई थी और तब हरियाणा से 7 लाख क्यूसेक ही पानी छोड़ा गया था। यमुना नदी का जलस्तर सोमवार सुबह 9 बजे 204.70 मीटर पर पहुंच चुका था। यह चेतावनी के निशान 204.50 मीटर के पार है। हालांकि अब खतरे का नया निशान 205.33 मीटर घोषित किया गया है, जिसे यमुना शाम तक पार कर लेगी। दिल्ली सरकार ने बाढ़ के खतरे को देखते हुए आपतकालीन बैठक भी बुलाई थी। इसकी अध्यक्षता दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने की थी। यह बैठक एक बजे हुई थी। सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग के अलावा अन्य विभाग भी ऐक्टिव। बढ़ते जलस्तर की वजह से लोहे के पुल का ट्रैफिक बंद कर दिया गया है। हालांकि, उसपर से ट्रेनों की आवाजाही फिलहाल जारी है। 12 बजे के बाद यमुना का जल स्तर 204.88 मीटर पर पहुंच गया था। केंद्रीय जल आयोग का कहना है कि बैराज से जितना पानी छोड़ा गया है, उससे आशंका है कि यमुना का जलस्तर 207 मीटर को पार कर जाएगा। लेकिन उससे ऊपर कितना बढ़ेगा, उसके बारे में कन्फर्म नहीं कहा जा सकता। 2013 में यह 207.32 मीटर पार हुआ था। अब यह पानी 208 मीटर पहुंचेगा या नहीं, इसको लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। मुनादी करवाकर यमुना की तलहटी में बसे लोगों से जगह खाली करवाई जा रही है। सुबह तक करीब 5 हजार लोगों को यमुना किनारे पुश्तों पर लगाए टेंट में शिफ्ट करने का काम चल रहा था। 44 बोट्स के साथ 27 गोताखोरों की टीमों भी अलग-अलग स्थानों पर तैनात है। सोमवार सुबह से अधिकारियों ने खुद बोट में बैठकर यमुना के किनारों का इंस्पेक्शन शुरू कर किया ताकि बाढ़ से संभावित जगहों में लोगों को खतरे से बचाया जा सके।

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