नंदा देवी मर्डर केस में ‘नर पिशाच’ सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत

बहुचर्चित निठारी कांड में नर पिशाच के नाम से कुख्यात सुरेंद्र कोली को नंदा देवी मर्डर केस में सजा-ए-मौत मिली है. बीते बुधवार को गाजियाबाद में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने उसे इस मामले में दोषी करार दिया था. इससे पहले निठारी कांड से संबंधित करीब पांच मामलों में उसे दोषी करार देते हुए कोर्ट पहले ही फांसी की सजा सुना चुकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे है.सीबीआई के जज पवन तिवारी ने सुरेंद्र कोली को उसके मालिक मनिंदर सिंह पंधेर के घर पर काम करने वाली 25 वर्षीय नौकरानी नंदा देवी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया था. नंदा देवी 31 अक्तूबर 2006 को लापता हो गई थी. विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि कोर्ट ने कोली को नंदा का अपहरण करने, उसकी हत्या, रेप करने और सबूत नष्ट करने का दोषी ठहराया था.

कोर्ट ने नंदा देवी मर्डर केस में सुरेद्र कोली को आईपीसी की धारा 302, 365, 511, 201 के तहत दोषी करार दिया. इससे पहले साल 2014 में ही सुरेंद्र कोली को निठारी कांड में दोषी करार दिया गया था. उसे फांसी की सजा दी गई थी. उस वक्त कोली को मेरठ जेल में 12 सितंबर 2014 को फांसी दी जानी थी, लेकिन देश की शीर्ष अदालत ने उसकी फांसी पर रोक लगा दी थी.

बताते चलें कि सुरेंद्र उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है. साल 2000 में वह दिल्‍ली आया था. साल 2003 में मोनिंदर सिंह पंढेर के संपर्क में आया था. उसके कहने पर नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा. 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया. इसके बाद वह और कोली साथ में कोठी में रहने लगे थे, जिसके बाद इस कांड का खुलासा हुआ.

 

 

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