कर्नाटक के ऐतिहासिक स्थल हंपी में वर्ल्ड हेरिटेज साइट पर प्राचीन शिव लिंग को तोड़ दिया गया है। ये घटना बीते बुधवार को हुई। बेल्लारी जिले के एसपी आरएस चेतन ने बताया है कि यहां कोटि लिंग तीर्थ में बने पत्थर के शिवलिंग को कुछ शरारती तत्वों ने तोड़ डाला। इस मामले में इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। जहां पर शिवलिंग को खंडित किया गया है वो तुंगभद्रा नदी के बीच में चट्टान पर बनी हुई है और यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दे रखा है। पुलिस ने माना है कि ये शिवलिंग किसी चीज से मारकर तोड़ा गया है। फिलहाल अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इससे पहले 2012 में भी हंपी के मंदिर के गोपुर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई थी। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार आने के बाद मंदिर की सुरक्षा में भारी कमी की गई है, जिससे आए दिन यहां हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाए जाने के मामले बढ़े हैं।
इस्लामी कट्टरपंथियों पर है शक
सदियों से मुगलों का निशाना बन चुके हंपी के मंदिर हमेशा से कट्टरपंथियों को खटकते रहे हैं। कर्नाटक में कुछ इस्लामी संगठनों पर इसे लेकर शक जताया जाता रहा है। कहते हैं कि 500 साल पहले ये नगर रोम से भी खूबसूरत हुआ करता था। उस दौर में यहां की आबादी 5 लाख के करीब हुआ करती थी। 14वीं शताब्दी में ये विजयनगर साम्राज्य की राजधानी बना था। ये दक्षिणी भारत का सबसे शक्तिशाली राजवंश था। 300 साल तक किसी मुगल बादशाह की इस पर बुरी नजर डालने की हिम्मत तक नहीं हुई। यह मंदिर आज भी प्राचीन काल में हिंदू वैभव की निशानी है, लिहाजा इससे ईर्ष्या रखने वालों की भी कमी नहीं है। लिहाजा हिंदू संगठनों ने इस पूरे इलाके की सुरक्षा कड़ी करने और आने-जाने वालों का रिकॉर्ड रखने की मांग की है।
2012 में भी मंदिर पर हमला!
हंपी के धार्मिक प्रतीकों पर हाल के दिनों में ये दूसरा बड़ा हमला है। 2012 में भी यहां के सबसे पुराने गोपुर को ढहा दिया गया था। तब कहा गया था कि यहां पर खजाना ढूंढने वालों ने ऐसा किया है। जबकि स्थानीय लोग इसके लिए कट्टरपंथियों को जिम्मेदार मानते हैं। उस मामले में भी पुलिस ने अब तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया। हंपी मंदिर के परिसर में कई बार हिंदू देवी-देवताओं के चेहरों पर कालिख या गंदगी पोतने के मामले भी सामने आ चुके हैं। इन मामलों में भी मंदिर की देखरेख करने वाला आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) और स्थानीय पुलिस लीपापोती ही कर देती है। 2012 से पहले पूरे इलाके में 24 घंटे पुलिस की गश्त हुआ करती थी। लेकिन इसे बंद कर दिया गया। हंपी के मंदिरों का संबंध हिंदू आस्था से है, लिहाजा यहां होने वाली तोड़फोड़ और हमलों की खबरें कभी नेशनल हेडलाइन नहीं बनतीं।
इससे पहले इसी साल छत्तीसगढ़ के बस्तर में पहाड़ी पर स्थापित हजार साल पुरानी ढोलकल गणेश की प्रतिमा को नीचे गिराकर खंडित कर दिया गया था। तब इसे नक्सलियों का काम माना गया था, लेकिन माना जाता है कि नक्सलियों ने ये काम धार्मिक कट्टरपथियों के कहने पर किया है।