हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) और रक्षा मंत्रालय की आवश्यक मंजूरी और स्वीकृति के बाद इसे आर्मी को सौंपा जाएगा. दिलचस्प ये है कि इस कैप्सूल की गंध ही असहनीय है और व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका कोई असर नहीं होता है.
बता दें कि मौजूदा समय में पत्थरबाजों को रोकने के लिए सुरक्षा बल पैलेट गन का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि इसके चलते सैकड़ों लोगों की आंखों को नुकसान पहुंचा है और इसका उपयोग विवाद का विषय रहा है. हालांकि पुलिस का कहना है कि यह घातक हथियार नहीं है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि पैलेट गन से घायल लोग हमेशा के लिए अपंग हो जाते हैं.
शुक्ला ने कहा कि दुर्गंध फैलाने वाले केमिकल को एक छोटे कैप्सूल में रखा जाएगा. इन कैप्सूल को टीयर गन्स के जरिए फायर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ग्लावियर की डिफेंस लैब्रोरेट्री में जल्द ही इसका ट्रायल किया जाएगा.
ट्रायल सफल होने के बाद भारतीय सेना इसका उपयोग कर सकती है. हालांकि माइक्रो मीडियम और स्मॉल इंडस्ट्रीज राज्य मंत्री गिरिराज सिंह को इस बारे में पहले ही बता दिया गया है. ये गिरिराज सिंह की ही पहल है कि रक्षा मंत्रालय ने इसके ट्रायल को मंजूरी दी है.