(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर आ गया है। एफएटीएफ के प्रमुख ने पेरिस में जारी दो दिवसीय बैठक के खत्म होने के बाद जानकारी दी है। पाकिस्तान 2018 से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल था। इस कारण पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा था। अब पाकिस्तान में विदेशी निवेश बढ़ने की उम्मीद है। भारत विरोधी आतंकवादी समूहों के खिलाफ आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान की राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के बारे में पूछे जाने पर एफएटीएफ के अध्यक्ष टी राजा कुमार ने कहा कि पाक 2018 से ग्रे लिस्ट में है। कार्रवाई की एक सूची थी जिसे उसे करना था और पाकिस्तान ने उस पर अमल किया है। हम संतुष्ट हैं।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान चार साल बाद फाइनेंशिएयल एक्शन टॉस्क फोर्स की ग्रे लिस्ट से बाहर हो गया है। एफएटीएफ ने पेरिस में आयोजित दो दिवसीय समीक्षा बैठक के बाद इस फैसले का ऐलान किया है। पाकिस्तान ने इसे अपनी जीत के तौर पर प्रदर्शित किया और कहा है कि वह आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रखेगा। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि आतंकवाद पाकिस्तान की स्टेट पॉलिसी का हिस्सा है। ऐसे में इस पॉलिसी को बदलना आसान नहीं होगा। पिछली बार की बैठक में एफएटीएफ ने कहा था कि वह पाकिस्तान का दौरा कर वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के बाद ही कोई फैसला करेगा। जिसके बाद सितंबर में एफएटीएफ की एक टीम पाकिस्तान पहुंची थी। इस दौरे के बाद पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने दावा किया था कि एफएटीएफ ने इस दौरे को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्त पोषण की जांच में विफल रहने के बाद साल 2018 से लगातार FATF की ग्रे सूची की जंजीर में जकड़े पाकिस्तान के लिए आज का दिन काफी अहम रहा। आखिरकार पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे सूची से बाहर आ ही गया। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स द्वारा पड़ोसी देश पाकिस्तान को अपनी ‘ग्रे लिस्ट’ से हटाने पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। भारत ने शुक्रवार को पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से हटाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
दरअसल, आतंकी फंडिंग व मनी लान्ड्रिंग मामलों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की पेरिस में बैठक हुई। इस बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने या न रखने को लेकर अंतिम फैसला हुआ। एफएटीएफ के मौजूदा अध्यक्ष सिंगापुर के टी. राजा कुमार ने रात करीब साढ़े आठ बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर किए जाने का एलान किया।
2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था पाक
पाकिस्तान को 2018 में आतंकवाद को धन मुहैया करवाने के आरोप में ग्रे लिस्ट में शामिल किया था। एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कानूनी, वित्तीय, नियामक, जांच, अभियोजन, न्यायिक और गैर-सरकारी क्षेत्र की कमियों के चलते पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला था। इसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए व्यापर सुधार कार्यक्रम की एक लिस्ट सौंपी थी। पाकिस्ता का दावा है कि उसने लिस्ट में दिए गए सभी शर्तों को पूरा कर लिया है। पिछली बैठक के बाद पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी समेत संयुक्त राष्ट्र में नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दावा किया है। पाकिस्तान के दावे के अनुसार, ये सभी आतंकवादी अब जेल में कैद हैं।
पाकिस्तान पर क्या होगा असर
विशेषज्ञों का दावा है कि पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने पर पहले से ही मुश्किलों से जूझ रही अर्थव्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, इससे पाकिस्तान से जुड़े वैश्विक लेनदेन की जांच कम करने में मदद मिल सकती है। पाकिस्तान से होने वाला हर बड़ा लेनदेन दुनियाभर की खुफिया एजेंसियों के निगाह पर रहता है। अब ऐसे लेनदेन की जांच में थोड़ी कमी आ सकती है। पाकिस्तान के दो बैंक एचबीएल और नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान कंप्लायंस फेल्योर्स और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग नियमों के उल्लंघन में पहले ही करोड़ों रुपये का जुर्माना भर चुक हैं। ऐसे में इन बैंकों को भी बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने से पाकिस्तान में विदेशी निवेश के रास्ते भी खुलेंगे।