पुणे में भड़की हिंसा का असर – कल महाराष्ट्र बंद, क्यों शुरू हुआ मामला?

महाराष्ट्र के पुणे में 200 साल पुराने युद्ध की बरसी को लेकर जातीय संघर्ष छिड़ गया है. यहां के भीमा-कोरेगांव में सोमवार को बरसी पर हुए कार्यक्रम के दौरान हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि कई घायल हैं. जगह-जगह हिंसक प्रदर्शनों के बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई है. इस मामले में सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

पुणे में हुई जातीय हिंसा का असर महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में भी देखा जा रहा है. मंगलवार को मुंबई के अलावा हड़पसर व फुरसुंगी में सरकारी और प्राइवेट बसों पर पथराव किया गया. लगभग 134 महाराष्ट्र परिवहन की बसों को नुकसान पहुंचा है. हिंसा की वजह से औरंगाबाद और अहमदनगर के लिए बस सेवा निरस्त कर दी गई थी. मंगलवार शाम चार बजे के बाद पुणे से अहमदनगर के बीच सभी बस सेवाएं बहाल हो गईं.

विरोध प्रदर्शन की वजह से मुंबई के कई हिस्सों में धारा 144 लगा दी गई है. वहीं, मुंबई पुलिस के पीआरओ ने जानकारी दी है कि राज्य में विभिन्न जगहों से 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है. इस बीच भीमराव आंबेडकर के पोते और एक्टिविस्ट प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वाहन किया है.

इस मामले पर महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री दीपक केसरकार ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है. राज्य में कोई भी गलत संदेश नहीं फैलना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं सभी से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं.  इससे पहले सैकड़ों की तादाद में गुस्साए लोगों ने मुलुंद, चेम्बुर, भांडुप, विख्रोली के रमाबाई आंबेडकर नगर और कुर्ला के नेहरू नगर में ट्रेन ऑपरेशंस को रोक दिया. पुणे के हड़पसर और फुर्सुंगी में बसों के साथ तोड़फोड़ की गई है. हिंसा की वजह से अहमदनगर और औरंगाबाद जाने वाली बसों को रद्द कर दिया गया था.

वहीं हजार से ज्यादा विरोध कर रहे लोगों ने ईस्टर्न हाइवे पर रामाबाई नगर जंक्शन के पास जाम लगाया हुआ है. हिंसा की वारदात को रोकने के लिए पुलिसबल तैनात है, हालांकि मंगलवार शाम तक प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाया नहीं जा सका है. पुलिस के आला अध‍िकारी विरोध खत्म करने के लिए नेताओं को मनाने में जुटे हुए हैं.

इस बारे में महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि, “भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे. हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी. कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई. इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. मृतक के परिवार वालों को 10 लाख के मुआवजा दिया जाएगा.”

दलितों के लिए प्रेरणास्रोत है जयस्तम्भ

बताया जाता है कि इस युद्ध में अंग्रेजों की तरफ 500 सैनिक शामिल हुए थे, जिनमें से 450 दलित थे, जिन्होंने शक्तिशाली मराठा सेना का मुकाबला किया। बाद में वीरता और साहस के लिए युद्ध में मारे गए इन सैनिकों के सम्मान में ही कोरेगांव में अंग्रेजों ने जयस्तम्भ बनवाया था। इस पर सैनिकों के नाम भी लिखे हुए हैं। इन्हीं को नमन करने के लिए महाराष्ट्र व अन्य जगहों से हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग हर साल 1 जनवरी को एकत्र होते हैं। धीरे-धीरे यह दिवस शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। बताया जाता है कि 1927 में डॉ. भीमराव अंबेडकर भी इस जगह गए थे। बाद में डॉ. अंबेडकर में विश्वास रखने वाले लोग इस जगह को प्रेरणास्रोत के रूप में देखने लगे।

 

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