वैसे तो सारा सिक्किम ही बेहद खुबसूरत है पर पेलिंग की बाद ही कुछ और है। कहीं भी खड़े हो जायें कंचनजंघा की चोटियां शान से अपना सर उठाये ख्ाड़ी दिखाई देती हैं। साथ ही पेलिंग के दोनों बौद्ध मठ पेमयांग्स्ते और संगचोएलिंग भी मौजूद हैं। इसके अलावा आप यहां सिंगशोरे ब्रिज, छांगे वॉटरफॉल और खेचुपेरी झील के भी नजारे देख कर इस जगह के दीवाने हो जायेंगे।
पेलिंग में जो लिम्बु समुदाय की जनजाति पायी है। इस क्षेत्र में कई उपजातियां भी हैं जैसे खामधक, मुरिंगला, लिंगदेन और पघा। यहाँ के लोगों को प्रमुख व्यवसाय खेती है। इलायची, मक्का, धान, गेहूँ और कुट्टू यहां की मुख्य फसलें हैं।
वैसे तो गर्मी में आप जब भी मौका मिले पेलिंग जा सकते हैं पर अगर आप अगस्त के महीने के आसपास जायें तो प्रतिवर्ष मनाये जाने वाले कंचनजंघा त्योहार का मजा ले सकते हैं। इस दौरान यहां हर ओर उत्सव का माहौल रहता है। त्योहार के दौरान कई मजेदार खेल और दूसरे कार्यक्रम भी होते हैं, जैसे रनरंगित में व्हाईट वॉटर रॉफ्टिंग, कयाकिंग, ट्रेकिंग, पहाड़ों पर बाइकिंग और दूसरे एडवेंचर गेम्स के साथ कई पारंपरिक खेलों में भी आप शामिल हो सकते हैं। इस दौरान पारंपरिक लिम्बु नृत्य, उडिंग और छब रंग के भी मजे लिए जा सकते हैं। पेलिंग जाना कतई मुश्किल नहीं है। ये इलाका भारत के कई प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग और रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।