(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के बाद अब ऐसे गांवों तक पक्की सड़कों को पहुंचाने की पहल शुरू की गई है जो अब तक पहुंचविहीन हैं। इन सड़कों के जरिये वंचित गांवों के विकास का रास्ता खोलने और नक्सलियों की पकड़ ढीली करने का सरकार का इरादा है।राज्य सरकार ने पहुंचविहीन गावों में 44 नई सड़कों की योजना बनाई है। यह सड़कें रोड रिक्वायरमेंट प्लान (आरआरपी) के तहत बनाई जाएंगी। इसमें राज्य सरकार की हिस्सेदारी 40 फीसद और केंद्र की 60 फीसद होगी। जिन सड़कों की योजना बनाई गई है उनमें कुछ धुर नक्सल इलाकों में हैं। इन गांवों में अब तक सड़क बनाने के लिए कोई ठेकेदार तक नहीं मिलता था।जगरगुंडा, किस्टारम, गोलापल्ली से होकर बारसूर और अबूझमाड़ के पल्ली तक स्टेट हाइवे का काम पहले से चल रहा है। दोरनापाल-जगरगुंडा और बासागुड़ा मार्ग का काम पुलिस खुद कर रही है। यहां नक्सल दहशत इतनी ज्यादा है कि ठेकेदार सामने नहीं आ रहे थे। अब ऐसी सड़कों की तैयारी की गई है जो इससे भी अंदर के इलाकों में हैं।प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि राज्य सरकार और मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह की प्राथमिकता सुदूरवर्ती इलाकों तक सड़कों का जाल बिछाने की है। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद इस पर काम तेज हुआ है। 2018-19 में 44 सड़कों के निर्माण का डीपीआर तैयार है। जल्द काम शुरू होगा।दंतेवाड़ा जिले के हिरोली-गुमियापाल से होकर अरनपुर तक 15.60 किमी सड़क घने जंगलों और नक्सलगढ़ से होकर गुजरेगी। कारली-इलियाचा के बीच छह किमी, छिंदनार-बारसूर तक 13 किमी, नारायपुर के पदमकोट से होकर कुतुल तक 32 किमी सड़क की योजना बनाई गई है।कुतुल ऐसी जगह है जहां दिन में खुलेआम नक्सली घूमते हैं। ऐसे में इन सड़कों का निर्माण बड़ी चुनौती है जिसे सरकार ने हाथ में लिया है। नारायणपुर-गारपा, ओरछा से अदेर, चारगांव से सिलकोड, उमकासा से दुर्गकोंदल आदि सड़कों के लिए बजट भी निर्धारित हो चुका है। कुल 44 सड़कों में से अधिकांश बेहद दुर्गम इलाकों में हैं।