बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि एनजीटी के आदेश के मुताबिक बेलंदूर लेक को पुनर्जीवित करने का काम तेजी से चल रहा है. तक़रीबन 60 एमएलडी छमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने कहा कि एनजीटी को बता दिया गया है कि उसके आदेश के बाद सरकार ने बेलंदूर लेक की सफाई के लिए किस तरह और क्या क्या कदम उठाए हैं.
वहीं कर्नाटक विधानसभा की लक समिति के वरिष्ठ सदस्य एन हैरिस का कहना था कि पिछली सरकारों ने इस मामले पर ध्यान नहीं दिया, हालात बिगड़ते गए और अब पिछली लापरवाहियों के लिए मौजूद सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता है.
तक़रीबन 800 एकड़ में फैले बेलंदूर लेक के प्रदूषित पानी को पूरी तरह आने से रोकने के लिए एक दर्जन के आसपास 60 से 90 एमएलडी छमता वाले ट्रीटमेंट प्लांट्स की ज़रूरत है. सोमवार को हुए 60 एमएलडी छमता वाले एसटीपी को मिलाकर कुल 6 एसटीपी काम करने लगे हैं. एक और प्लांट बेलंदूर में 90 एमएलडी छमता का जून से काम करने लगेगा.
बेलंदूर झील को पूरी तरह साफ कर पुनर्जीवित करने में तक़रीबन तीन साल का वक़्त लग सकता है क्योंकि दशकों से झील में कचरा जमा होता रहा है और ताज़े आंकड़ों के मुताबिक लगभग साढ़े तीन मीटर कचरे और कीचड़ की परत झील में जमा हो गई है. इसकी सफाई में ही एक साल से ज्यादा का वक़्त लगेगा लेकिन ये तभी सम्भव होगा जब इस कीचड़ पर जमी जंगली घास पूरी तरह हटाई जाए और इसके लिए भी काफी वक्त चाहिए. और इस दौरान झील में प्रदूषण पर सीधे तौर पर रोक के लिए एसटीपी की सख्त जरूरत है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक झील के चारों तरफ कैमरा लगा दिया गया है ताकि यहां कोई कचरा डालता पकड़ा जाए तो 5 लाख रुपये का जुर्माना उससे वसूला जा सके.