(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : बेंगलुरु में साधकों को पितृ साधना दीक्षा प्रदान करने के पश्चात कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्रनाथ जी महाराज योग सीखने के इच्छुक योग जिज्ञासुओं को योग सिखाने के लिए तैयार हो गए। इसके लिए 14 दिनों का अष्टांग योग शिविर आयोजित किया गया जो 01 अक्टूबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर 2018 तक चला।
अष्टांग योग इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित योग प्रणाली है। समाज में घेरंड योग जैसी प्रणालियों की जगह अष्टांग योग के प्रचलित होने का एक कारण इस प्राणाली का सामजिक होना भी है। हठ योग का ज्यादा समन्वय होने से सामान्य जन के लिए घेरंड जैसी योग प्रणाली मुश्किल हो जाती है।
आज के समय में जब योग के नाम पर अनेक प्रकार के अजीबोगरीब कार्य किए जा रहे हैं तब यह बहुत जरूरी हो गया था कि अष्टांग योग को उसके हिमालय की परम्परा के अनुरूप बिलकुल शुद्ध रूप में सिखाया जाए।
14 दिन के अष्टांग योग कोर्स का पहला और दूसरा दिन ‘यम’ और ‘नियम’ का विस्तृत विवरण देने में बीता। अष्टांग योग के आठ अंग हैं जो कि यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि के रूप में जाने जाते हैं। पहले दो अंग यम और नियम आतंरिक और मानसिक स्वच्छता के लिए होते हैं। इसके बाद प्रत्याहार के अतिरिक्त अन्य सभी अंग किसी तरह की क्रिया के जरिए
संपन्न किए जाते हैं। शिविर के दौरान कई तरह के तरीके सिखाए गए जिनके जरिए यम और नियम के अभ्यास को मजबूत बनाया जा सकता है।
इसके बाद शिविर का दूसरा दिन मुख्यतः योग के विभिन्न रूपों का वर्गीकरण समझने में बीता। अन्य योगों के विपरीत अष्टांग योग मानसिक शुद्धि और कर्मों की शुद्धि पर बहुत ज्यादा जोर देता है। यम और नियम योगी व्यक्ति के अभ्यास पर आधारित है। इस तरह से दूसरा दिन अष्टांग योग, हठ योग और योग के अन्य प्रकारों के बीच अंतर समझाने में बीता।
हठ योग और घेरंड योग में शरीर की शुद्धि के लिए पञ्च क्रिया पर ज्यादा जोर दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है। जब शरीर स्वस्थ होता है तो वह स्वस्थ मन का आधार बनता है और जब मन स्वस्थ होता है तो विचार शुद्ध होते हैं और आतंरिक शुद्धता संपन्न होती है।
अष्टांग योग और योग के अन्य प्रकारों में शुरुआत में ही भिन्नता है किंतु सभी प्रकार के योगों का अंतिम लक्ष्य समाधि ही है।अष्टांग
योग के शिविर का तीसरा और चौथा दिन यम और नियम के विस्तृत विवरण में बीता और पांचवा दिन आसनों की आधारभूत जानकारियाँ भलीभांति देने में बीता। क्योंकि यह दो हफ्ते का योग कोर्स था इसलिए ईशपुत्र ने योग की सभी प्रकार की आधारभूत जानकारियाँ योग जिज्ञासुओं को दीं।
तीसरे दिन यम और नियम का विस्तृत विवरण दिया गया। यम एक विस्तृत विषय है जिसके अपने 10 विभिन्न हिस्से हैं। यम के 10 हिस्सों को समझाने में तीसरा दिन बीता।
चौथा दिन ‘नियम’ के संबंध में विस्तृत जानकारी देने में बीता। ‘नियम’ का अर्थ मुख्यतः उन नियमों से है जिनके जरिए स्वाध्याय किया जा सकता है। इस प्रकार चौथा दिन नियम के विभिन्न हिस्सों, खासकर ईश्वर प्राणिधान के विषय में बीता।
पांचवे दिन आसनों का परिचय शुरू हुआ। अष्टांग योग की परम्परा के विषय में इस दिन विशेषकर चर्चा हुई, क्योंकि कौलान्तक पीठ गुरु शिष्य परम्परा पर चलती है और यहाँ गुरुमंडल के महत्व पर विशेष जोर दिया जाता है।
आने वाले दिनों में ईशपुत्र ने अष्टांग योग को गहराई से समझाया। आने वाले दिनों में प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि के विषयों में विस्तृत जानकारियाँ दी गईं।