जस्टिस ए एम बदर ने पिछले हफ्ते दिए गए आदेश में बाल यौन अपराध निरोधक अधिनियम (पॉक्सो) अधिनियम के तहत रेप का दोषी करार दिए गए एक शख्स को जमानत देने से इनकार कर दिया. उसे अपनी नाबालिग भतीजी के साथ बार-बार रेप करने का दोषी करार दिया गया है.
“अदालत ने अपराधी की इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़िता के ‘दो पुरूष मित्र हैं, जिनके साथ उसके यौन संबंध थे.’ जस्टिस बदर ने कहा, ‘कोई महिला चरित्रहीन हो सकती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कोई भी इसका फायदा उठा सकता है. उसे ना कहने का अधिकार है.’ उन्होंने कहा, ‘अगर हम यह बात मान भी लें कि इस मामले में पीड़िता के दो पुरूष मित्र थे तो भी इससे याचिकाकर्ता को उसके साथ रेप का अधिकार नहीं मिल जाता.”
जज ने यह भी कहा कि घटना उस समय हुआ जब पीड़ित लडकी नाबालिग थी. उन्होंने कहा, ‘उसने जिरह के दौरान साफ-साफ कहा है कि याचिकाकर्ता ने बार-बार उसके साथ रेप किया.’
महाराष्ट्र के नासिक के रहने वाले याचिकाकर्ता को पॉक्सो अदालत ने 2016 में दोषी करार देते हुए 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी. इसके बाद उसने जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की और दावा किया कि उसने रेप नहीं किया.
दोषी ने जमानत का अनुरोध करते हुए कहा कि वह अपने परिवार में कमाने वाला अकेला सदस्य है.