(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : रिलायंस के 41वीं एजीएम (सालाना अधिवेशन) में मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी ने भारत में ‘’Mbps के दिन बीतने का जिक्र करते हुए Gbps’’ की घोषणा करते हुए जियो गीगा फाइबर के लॉन्च की घोषणा की थी। इसके बाद रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने अनिल अंबानी की कर्ज तले दबी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन से 2000 करोड़ रुपये की टेलीकॉम इंफ्रा को खरीद लिया। जियो की पहचान कम कीमत में मोबाइल इंटरनेट देने की रही है और अब गीगा फाइबर उस इंटरनेट की दुनिया की बदलने जा रहा है, जिसकी शुरुआत के लिए मुकेश अंबानी अब दो अन्य कंपनियों में कंट्रोलिंग स्टेक खरीदने जा रहे हैं।खबरों के मुताबिक रिलायंस भारत के सबसे बड़े केबल टीवी और ब्रॉडबैंड सर्विसेज प्रोवाइडर्स हैथवे केबल एंड डेटाकॉम और डेन नेटवर्क्स में हिस्सेदारी खरीदने जा रही हैं। पेट्रोकेमिकल्स के कारोबार की देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी की पोर्टफोलियो में अब डेटा बिजनेस सबसे बड़ा कारोबार बनने की तरफ अग्रसर है। रिलायंस की इस डील को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर जियो गीगा फाइबर है क्या?हमारे घरों और ऑफिस में अभी इंटरनेट केबल के जरिए पहुंचता है, जो कॉपर का बना होता है और जिसे हम टेलीफोन केबल या कोएक्सिल केबल के नाम से जानते हैं। इस केबल के जरिए इस्तेमाल की जाने वाले इंटरनेट की स्पीड Mbps में होती है। रिलायंस का दावा है कि जब इस केबल की जगह ऑप्टिक फाइबर का इस्तेमाल किया जाएगा, तब इंटरनेट की स्पीड 1Gbps होगी जबकि अपलोडिंग की स्पीड 100 Mbps होगी। दोनों टेक्नोलॉजी के बीच के फर्क को इंटरनेट की स्पीड से समझा जा सकता है। केबल इंटरनेट से जहां आपको 10 Mbps से लेकर 100 Mbps तक की स्पीड मिलती है वहीं फाइबर नेटवर्क पर मिलने वाली स्पीड 50 Mbps से 10 Gbps (गीगा बाइट प्रति सेकेंड) होगा। Mbps में यह स्पीड 10,0000 Mbps होगी।चूंकि इस तकनीक में आपको इंटरनेट फाइबर ऑप्टिक्स की मदद से मिलेगा, जिसकी स्पीड गीगा बाइट प्रति सेकेंड में होगी, इसलिए जियो के इस प्रॉडक्ट का नाम जियो गीगा फाइबर रखा गया है। दुनिया भर में इंटरनेट, वॉयस और वीडियो के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। आम तौर पर फाइबर केबल किसी बिल्डिंग के बाहर ही लगी होती है और घरों में इंटरनेट सुविधा देने के लिए आम केबल का प्रयोग किया जाता है जिससे इंटरनेट की स्पीड कम हो जाती है लेकिन जियो फाइबर में फाइबर की केबल सीधी आपके घर में पहुंचेगी।जियो ने पहले तीन महीने तक इस सर्विस को फ्री में देने का वादा किया है। हालांकि इसमें लगने वाले डिवाइस के लिए सिक्योरिटी फी का भुगतान करना होगा, जो कनेक्शन बंद कराने पर डिवाइस को लौटाने के बाद वापस मिल जाएगा। इस सेवा को आपके घरों तक पहुंचाने के लिए रिलायंस को स्थानीय स्तर पर गीगा फाइबर नेटवर्क की जरूरत होगी। कंपनी ने इसके लिए मेन सेंटर को स्थापित कर लिया है और घरों तक इस नेटवर्क को पहुंचाने के लिए उसे पहले से बाजार में मौजूद केबल और ब्रॉडबैंड कंपनी की जरूरत पड़ेगी। इसी जरूरत की वजह से हैथवे और डेन नेटवर्क्स में रिलायंस हिस्सेदारी खरीदने जा रही है।हैथवे केबल का मालिकाना हक राहेजा ग्रुप के पास है जबकि समीर मनचंदार डेन नेटवर्क्स का मालिकाना हक रखते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों ही कंपनियां नए शेयर जारी करेंगी और रिलायंस की हिस्सेदारी 25 फीसद से अधिक और 50 फीसद से कम होगी। हैथवे केबल भारत की अग्रणी केबल टीवी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी है। इसके साथ ही यह केबल ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइडर भी है। जियो इसी नेटवर्क का इस्तेमाल कर घरों तक फाइबर नेटवर्क का जाल बिछाएगा। कंपनी में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी (45.5 फीसद) प्रोमोटर्स की है। प्रोमोटर्स में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी (14.1 फीसद) अक्षय राहेजा की है।रिलायंस की तरफ से हिस्सेदारी लिए जाने की खबरों के बाद पिछले पांच दिनों में कंपनी के शेयरों में करीबी 20 फीसद का उछाल आया है। वहीं डेन नेटवर्क्स भारत की बड़ी केबल टीवी कंपनियों में एक है। कंपनी को हाल ही में पूरे भारत के लिए आईएसपी का लाइसेंस मिला है। सितंबर 2018 तक कंपनी में प्रोमोटर्स की हिस्सेदारी 36.45 फीसद है, जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सा (23.83) समीर मनचंदा के पास है। पिछले एक हफ्ते में कंपनी के शेयरों में करीब 17 फीसद से अधिक का उछाल आया है।कंपनियों ने बुलाई बोर्ड की बैठक स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में दोनों कंपनियों ने 17 अक्टूबर को बोर्ड की बैठक बुलाने की जानकारी दी है। एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कंपनियों फंड जुटाए जाने के प्रस्ताव पर चर्चा और उसकी मंजूरी के बारे में बताया है। खबरों के मुताबिक बोर्ड की इसी बैठक के बाद इस डील के बारे में आधिकारिक घोषणा किए जाने की उम्मीद है।