यूपी में जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में नेता अपने सियासी तीर न छोड़े ये कैसे हो सकता है। उसी क्रम में केंद्रीय महिला कल्याण और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि सुल्तानपुर से बीजेपी सांसद और उनके बेटे वरुण गांधी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं होंगे।
मेनका गांधी ने ये बयान मंगलवार को मथुरा के गोवर्धन रोड स्थित सरस्वती विद्या मन्दिर में प्रबुद्ध नागरिक विचार गोष्ठी के दौरान दिया। पत्रकारों ने जब मेनका गांधी से पूछा कि क्या प्रियंका गांधी के जवाब में पार्टी वरुण गांधी को मैदान में उतारेगी? इस प्रश्न पर केंद्रीय मंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा की, ‘नहीं’।
इसके बाद पत्रकारो से वार्ता के दौरान जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही हिंसा को लेकर मेनका गांधी ने कहा कि कश्मीर हमेशा उबाल पर रहा है और उन्होंने कहा पहली बार मिलीजुली सरकार बनी है, जो कुछ लोगों को पच नहीं रही है। ऐसे में लोगों को ये विश्वास दिलाने में कि ये देश उन्हीं का है, थोड़ा वक्त लग रहा है । सरकार इस पर काम कर रही है और उन्हें विश्वास है कि जम्मू-कश्मीर सरकार जल्द इस पर काबू पा लेगी ।
बहरहाल, वरुण गांधी को लेकर उनकी मां मेनका गांधी का ये बयान काफी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि अभी हाल ही कुछ युवा कार्यकर्ताओं व् समर्थकों ने इलाहाबाद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान ‘वरुण गांधी अब की बार’ लिखे बड़े बडे पोस्टरों के माध्यम से उनको सीएम उम्मीदवार बनाने की मांग की थी।
सूत्रों के हवाले से कुछ दिनों पहले ये खबर भी आई थी कि बीजेपी स्मृति ईरानी को सीएम उम्मीदवार घोषित करना चाहती है, जबकि संघ चाहता है कि वरुण गांधी को सीयम कैंडीडेट बनाया जाए। अब इन दोनों बातों में कितनी सच्चाई है, ये तो आने वाले समय में पता लगेगा, लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि अब यूपी में अगामी विधानसभा चुनावो को लेकर सियासी गर्मी बढ़ गई है।
हालांकि इन सबसे अलग सूत्रों की मानें तो बीजेपी हाईकमान वरुण गांधी से नाराज चल रही है। बताया जा रहा है कि पार्टी में वरुण गांधी से हाईकमान नाराज है, वजह बताई जा रही है वरुण गांधी का इलाहाबाद दौरा जहां पर वरुण गांधी के आगमन में लगाए गए पोस्टर और बैनर से पार्टी ये मान रही है कि वरुण गांधी अपने आप को बतौर सीएम प्रदेश में पेश कर रहे हैं। यूपी में अभी तक मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी सर्वसम्मति से किसी एक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है।
इधर, पिछले दिनों पार्टी के कुछ नेताओं ने एक पोस्टर जारी किया था, जिसमें स्मृति ईरानी को बीमार जबकि वरुण गांधी को ज्यादा लोकप्रिय हो रहे नेता के तौर पर पेश किया गया था। उसके बाद से पार्टी में घमासान मचा हुआ है। केंद्रीय राजनीति में उनकी चर्चा नहीं के बराबर हो रही, लेकिन यूपी की सीटों से दो बार के सांसद चुनाव पूर्व तैयारियों में न दिखे तो वजह की तलाश वाजिब है. क्या शादी के बाद बढ़ी पारीवारिक जिम्मेदारी ने उन्हें राजनीति से मसरूफ कर रखा है या गांधी-नेहरू परिवार पर सीधा हमला न करना इसकी वजह है। उनसे पार्टी हाईकमान रूठे हैं या शुरुआती कट्टर बयान उन पर भारी पड़ रहा है, या फिर कुछ और है?
मुरादाबाद में मंच टूटने और कम हाजिरी की वजह से संसदीय समितियों से बाहर होने वाले सांसदों में नाम शामिल होने के चलते वह काफी दिनों के बाद खबरों में आए। सवाल यह है कि आखिर वो कौन सी ऐसी वजह है जिनके चलते सबसे कम उम्र में केंद्रीय महासचिव बनाए गए अलग-थलग पड़ गए हैं।
केंद्र और यूपी की राजनीति की अंदरूनी जानकारी रखनेवाले लोगों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे रूठे हुए बताए जा रहे हैं। एक तथ्य यह भी आम है कि अपने राजनीतिक सफर में पीएम मोदी की कार्यशैली किसी को भी माफ नहीं करने की रही है। अगर यह सच है, तो पीएम मोदी के वरुण से नाराज होने की वजह क्या है। इसको लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है।
बहरहाल, जो हो लेकिन मां मेनका गांधी का बेटे वरुण को लेकर यह दिया गया बयान बीजेपी को काफी राहत देगा।
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