मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद नजरबंदी से निकलने के बाद शुक्रवार (8 दिसंबर) को पहली बार सार्वजनिक तौर पर नजर आया. उसने यरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के खिलाफ एक रैली का नेतृत्व किया. जमात-उद-दावा के सरगना को करीब 10 महीने में नजरबंदी में रहने के बाद बीते 24 नवंबर को पाकिस्तानी सरकार ने रिहा कर दिया था. सईद ने कहा कि पाकिस्तान रक्षा परिषद (डीसीपी) मुस्लिम देशों में शिष्टमंडल भेजेगा और उनको मनाएगी कि वे यरुशलम में अपने दूतावास नहीं खोलें.
इस आतंकी ने कहा, ‘‘अगर कोई मुस्लिम देश यरुशलम में अपना वाणिज्य दूतावास खोलता है तो मुस्लिम देशों में उसके दूतावासों के खोलने पर रोक लगनी चाहिए.’’ उसने कहा कि मुस्लिम देशों को अमेरिका के खिलाफ एकजुट हो जाना चाहिए. सईद ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को यरुशलम के मामले पर चर्चा के लिए तत्काल संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए.
वहीं दूसरी ओर यरूशलम को इजरायल की राजधानी बताने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान के खिलाफ कुआलालंपुर में अमेरिकी दूतावास के बाहर एक हजार से अधिक मलेशियाई मुसलमानों ने विरोध प्रदर्शन किया. खेल मंत्री खैरी जमालुद्दीन के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने जुमे की नमाज के बाद पास की एक मस्जिद से अमेरिकी दूतावास तक मार्च निकाला जिससे यातायात थम गया. प्रदर्शनकारी ‘इस्लाम जिंदाबाद’ और ‘यहूदीवादी मुर्दाबाद’ के नारे लगा रहे थे. कई लोगों के हाथ में बैनर थे जिनमें से कुछ पर लिखा था ‘फलस्तीन को आजाद करो’ और ‘यरूशलम फलस्तीन की राजधानी है’.
यरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के मुद्दे पर वैश्विक निंदा का सामना करने के बीच व्हाइट हाउस ने शुक्रवार (8 दिसंबर) को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह ‘जमीनी हकीकत को दिखाता’ है और अमेरिका शांति प्रक्रिया के लिये प्रतिबद्ध है.
ट्रम्प ने बुधवार (6 दिसंबर) को एक प्रमुख नीतिगत संबोधन में यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने की घोषणा की. इस फैसले का इजरायल ने तुरंत स्वागत किया, लेकिन इसके नतीजतन पश्चिम एशिया में आक्रोश एवं अमेरिका के कई सहयोगियों तथा गठबंधन देशों से विरोध दिखने लगा.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, ‘राष्ट्रपति ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हमेशा से शांति प्रक्रिया के प्रति हमारी प्रतिबद्ध रही है और हम इसे उन संवादों एवं चर्चाओं में भी लगातार आगे बढ़ाना चाहते हैं.’