(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : उपचुनावों में येदियुरप्पा सर्कार की कड़ी परीक्षा होने वाली है। कर्नाटक में 15 विधानसभा सीटों पर हो रहे चुनाव बीएस येदियुरप्पा की सरकार का भविष्य तय करने वाले हैं। उपचुनाव के नतीजे 9 दिसंबर को आएंगे और उसी दिन यह साफ हो जाएगा कि सीएम येदियुरप्पा कुर्सी पर बने रहेंगे या उन्हें एक बार फिर इस्तीफा देना पड़ेगा। चार महीने पहले एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस-कांग्रेस सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा ने कर्नाटक की सत्ता संभाली थी। कर्नाटक विधानसभा में कुल 225 सीटें (एक मनोनीत) हैं। जेडीएस-कांग्रेस के 17 विधायक अयोग्य ठहराए गए थे। 2 सीटों- मस्की और राजराजेश्वरी से संबंधित याचिकाएं कर्नाटक हाई कोर्ट में पेंडिंग हैं। ऐसे में यहां अभी उपचुनाव नहीं हो रहे हैं। यानी उपचुनाव के नतीजों के बाद सदन का वास्तविक संख्याबल 222 होगा। इसमें भी स्पीकर का वोट नहीं पड़ता है। यानी 221 सदस्यों के सदन में बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए 111 विधायकों की जरूरत होगी। बीजेपी के पास विधानसभा में 105 (एक निर्दलीय सहित) विधायक हैं। ऐसे में उसे बहुमत के लिए 15 सीटों में से कम से कम 6 सीटें जीतनी होंगी। कांग्रेस के 66 और जेडीएस के 34 विधायक हैं। बीएसपी के भी एक विधायक हैं। इसके अलावा एक मनोनीत विधायक और स्पीकर हैं। अगर बीजेपी 6 से कम सीटें जीतती है तो उसके लिए सरकार को बचाना मुश्किल हो जाएगा और एक बार फिर जोड़तोड़ की सियासत देखने को मिल सकती है। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने जुलाई में एचडी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास प्रस्ताव से पहले ही 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। स्पीकर ने असेंबली के कार्यकाल तक इन विधायकों के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी थी। वहीं विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त करने मे विफल रहने पर कुमारस्वामी ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, बीजेपी ने बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में नई सरकार बनाई थी। अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के फैसले को चुनौती दी थी। 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्पीकर किसी विधायक को असेंबली के कार्यकाल तक के लिए अयोग्य नहीं ठहरा सकते। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर ये बागी जीतते हैं तो मंत्री भी बन सकते हैं। गुरुवार को जिन 15 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें 12 पर कांग्रेस और तीन पर जेडीएस का कब्जा है। संभावना जताई जा रही है कि उपचुनाव में वोटिंग कम हो सकती है। इसके पीछे वजह यह है कि सामान्य तौर पर किसी भी उपचुनाव में मतदान प्रतिशत कम होता है। अयोग्य करार दिए गए 15 में से 13 विधायकों को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है। उपचुनाव लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने के बाद पिछले महीने वे बीजेपी में शामिल हो गए थे।