(न्यूज़ लाइव नाऊ) नई दिल्ली: लाभ का पद मामले में चुनाव आयोग की ओर से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की सिफारिश के बाद पार्टी को गहरा झटका लगा है। शनिवार को चुनाव आयोग की सिफारिश को अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने असंवैधानिक करार दिया और कहा कि औपचारिक हस्ताक्षर से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे और अपना पक्ष रखेंगे। बता दें कि इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा था कि इस मामले में भी उनकी जीत होगी। AAP के 20 विधायकों को चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराने के मामले पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘ कल से लगातार मीडिया में खबर है कि 20 विधायक अयोग्य हैं। बिना सबूतों के चुनाव आयोग ने ऐसा सुझाव कैसे दिया। विधायकों के पास बहुत से तर्क और सबूत हैं जो ऑफिस ऑफ प्रॉफिट को खारिज करते हैं। यह सुझाव असंवैधानिक है, अलोकतांत्रिक है। विधायकों ने राष्ट्रपति से समय मांगा है, विधायक उनसे मिलेंगे और अपने सबूत देंगे।’ बता दें कि मनीष सिसोदिया ने अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद ये बयान दिया है। सिसोदिया ने कहा कि चुनाव आयोग की यह सिफारिश असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक है। क्योंकि लाभ के पद मामले में विधायकों को अपने बचाव में बात रखने का समय नहीं दिया गया और न ही उनकी बात सुनी गई। बता दें कि यह प्रावधान है कि लाभ के पद पर रहते हुए विधायक संसदीय सचिव के पद पर काबिज नहीं हो सकते। इसी के उल्लंघन का मामला इन विधायकों पर है। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद मामले में राष्ट्रपति से अयोग्य ठहराए जाने की सिफारिश की थी। चुनाव आयोग ने अपनी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी अपनी सिफारिश में कहा है कि 13 मार्च 2015 से 8 सितंबर 2016 तक ये विधायक संसदीय सचिव के पद पर रहे हैं जो कि लाभ का पद है। इस लिहाज से उनको विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया जाए। संविधान के अनुच्छेद 102-1A के मुताबिक सांसद या विधायक किसी ऐसे पद पर नहीं रह सकते हैं जिसके लिए उन्हीं किसी तरह का वेतन, भत्ता या कोई और लाभ मिलता हो। बता दें कि दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में 21 आप विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था। जिसके बाद वकील प्रशांत पटेल ने इस पूरे प्रकरण को लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। राष्ट्रपति ने मामला चुनाव आयोग को भेजा और चुनाव आयोग ने मार्च 2016 में 21 आप विधायकों को नोटिस भेजा, जिसके बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई थी।