बीजिंग. चीन ने शनिवार को वर्ल्ड लीडर्स को दलाई लामा से मुलाकात पर वॉर्निंग दी है। चीन ने कहा कि लीडर्स अगर दलाई लामा से मुलाकात करते हैं, तो हमारी नजर में ये बड़ा जुर्म माना जाएगा। चीन दलाई लामा को अलगाववादी बताता रहा है, क्योंकि वे तिब्बत को चीन से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। चीन का कहना है कि डिप्लोमैटिक रिश्ते रखने वाले देशों के लिए तिब्बत को चीन का हिस्सा मानना जरूरी है।
CPC की कांग्रेस में दलाई लामा पर क्या कहा गया…….
1) कोई तर्क नहीं सुनेंगे
– कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) लीडर जैन्ग यीजीओंग ने कहा, “कोई भी देश और कोई भी संस्था जो दलाई लामा से मुलाकात करेगा, तो ये चीन के लोगों की भावनाओं के मद्देनजर बड़ा जुर्म होगा। चीन सरकार को कानूनन स्वीकार करने वाले देशों के लिए ये नियमों का बड़ा उल्लंघन होगा। हम दूसरे देशों और वहां के लीडर्स का ये तर्क नहीं मानेंगे कि दलाई लामा से उनकी मुलाकात धार्मिक लीडर के तौर पर थी।”
2) भारत का नाम लिए बगैर जिक्र किया
– जैन्ग यीजीओंग ने कहा, “हम साफ कर देना चाहते हैं कि 14th दलाई लामा, जिन्हें बुद्ध कहा जाता है, वो धर्म के चोले में एक राजनीतिक शख्सियत हैं।”
– भारत का नाम लिए बगैर कहा, “दलाई लामा दूसरे देश में चले गए। अपनी मातृभूमि के साथ धोखा किया और अपनी कथित सरकार को भी निर्वासित कर दिया, जिसका अलगवावादी एजेंडा है- तिब्बत को चीन से अलग करना। दशकों से दलाई लामा का ग्रुप इस मकसद को पाने की कोशिश कर रहा है।”
– जैन्ग यीजीओंग ने कहा, “हम साफ कर देना चाहते हैं कि 14th दलाई लामा, जिन्हें बुद्ध कहा जाता है, वो धर्म के चोले में एक राजनीतिक शख्सियत हैं।”
– भारत का नाम लिए बगैर कहा, “दलाई लामा दूसरे देश में चले गए। अपनी मातृभूमि के साथ धोखा किया और अपनी कथित सरकार को भी निर्वासित कर दिया, जिसका अलगवावादी एजेंडा है- तिब्बत को चीन से अलग करना। दशकों से दलाई लामा का ग्रुप इस मकसद को पाने की कोशिश कर रहा है।”
3) मुलाकात करने वाला अफसर अपने देश को रिप्रेजेंट करता है
– “कानूनी तौर पर मान्य किसी भी देश की सरकार ने दलाई लामा ग्रुप को कोई पहचान नहीं दी है। कुछ ही देश और उनके लीडर दलाई लामा की मेहमाननवाजी कर रहे हैं। कुछ देश ये कह सकते हैं कि दलाई लामा राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक शख्सियत हैं और उनके अफसरों की मुलाकात भी राजनीतिक नहीं है। लेकिन, ये ना सच है और ना ही सही। हर ऑफिशियल अपनी सरकार को रिप्रेजेंट करता है और वे पॉलिटिकल फिगर्स होते हैं।”
– “कानूनी तौर पर मान्य किसी भी देश की सरकार ने दलाई लामा ग्रुप को कोई पहचान नहीं दी है। कुछ ही देश और उनके लीडर दलाई लामा की मेहमाननवाजी कर रहे हैं। कुछ देश ये कह सकते हैं कि दलाई लामा राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक शख्सियत हैं और उनके अफसरों की मुलाकात भी राजनीतिक नहीं है। लेकिन, ये ना सच है और ना ही सही। हर ऑफिशियल अपनी सरकार को रिप्रेजेंट करता है और वे पॉलिटिकल फिगर्स होते हैं।”
दलाई लामा के अरुणाचल दौरे का किया था विरोध
– इसी साल अप्रैल में दलाई लामा अरुणाचल के दौरे पर गए थे। चीन ने इसका विरोध किया था और अरुणाचल के मैप में 6 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन लु कांग ने इस भड़काऊ फैसले को कानूनन सही बताया था और कहा था कि दलाई लामा की एक्टिविटी भारत के चीन से किए गए वादों के खिलाफ हैं।
अरुणाचल पर क्या है चीन का दावा?
– अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ मिलती है। चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है। 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था।
– अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ मिलती है। चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है। 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था।