मुंबई,
विवादित धार्मिक गुरु जाकिर नाइक सोमवार को मुंबई आने वाले थे, पर एकाएक उनका भारत दौरा रद्द हो गया। इसके पीछे उनके विवादित भाषणों की चल रही जांच बताई जा रही है। । सन 2006 में ही महाराष्ट्र एटीएस ने उस इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के लाइब्रेरियन फिरोज देशमुख को औरंगाबाद आर्म्स केस में गिरफ्तार किया था, जिसके संस्थापक जाकिर नाइक हैं।
मुंबई पुलिस ने सभी भाषणों को सुनने के लिए करीब 2 दर्जन लोगों की टीम बनाई है। यह टीम जाकिर के भाषणों पर लिखित सामग्री को भी पढ़ रही है। जांच टीम अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट इस सप्ताह तक मुंबई पुलिस कमिश्नर को सौंप देगी। इसी के बाद यह फैसला किया जाएगा कि जाकिर नाइक पर कोई केस बनता है या नहीं? सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने खुले मार्केट से भी जाकिर के भाषणों की सीडी उठाई है, साथ ही जाकिर के दफ्तर से भी उन्होंने कई सीडी अपने कब्जे में ली है।
जाकिर के कुछ फॉलोअर्स को भी भरोसे में लेकर उनसे सीडी ली गई हैं। कई लोगों के स्टेटमेंट भी लिए गए हैं। कुछ लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि भले ही जाकिर नाइक के भाषण आपत्तिजनक क्यों न हों, लेकिन पिछले दस साल में चूंकि किसी ने पुलिस में इन भाषणों को लेकर कोई शिकायत ही दर्ज नहीं कराई, इसलिए पुलिस उन पर एफआईआर दर्ज ही नहीं कर सकती। पर पूर्व आईपीएस अधिकारी और नामी ऐडवोकेट वाई पी सिंह इस तर्क से सहमत नहीं।
उनके अनुसार, जब देश या सरकार के खिलाफ कोई मामला बनता हो, तो पुलिस स्वत: प्राप्त सूचना के आधार पर एफआईआर दर्ज कर सकती है। सिंह कहते हैं कि यदि जांच में जाकिर के भाषण आपत्तिजनक पाए गए, तो उन पर आईपीसी के सेक्शन 153 (ए), 295 (ए) और 124 (ए) के तहत मामला दर्ज हो सकता है। जब किसी भाषण से दो ग्रुपों में तनाव फैलता है, तो सेक्शन 153 (ए) लगाता है। आरोप साबित होने पर इस सेक्शन में आरोपी को 3 साल की सजा का प्रावधान है। सेक्शन 295 (ए) में भी 3 साल की ही सजा का प्रावधान है, पर यह सेक्शन तब लगाया जाता है, जब किसी की स्पीच से धार्मिक भावना भड़कती है। वाई पी सिंह कहते हैं कि 124 (ए) सेक्शन तब लगाया जाता है जब मामला देशद्रोह से जुड़ा हो। इस केस में न्यूनतम सजा 3 साल है, पर यदि अपराध गंभीर पाया गया, तो कोर्ट आरोपी को आजीवन कारावास की भी सजा सुना सकता है।