(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अनंत तारों और ग्रहों को खुद में समेटे हमारा ब्रह्मांड अनगिनत रहस्यों से भरा पड़ा है। दुनिया भर के खगोलविदों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला यह ब्रह्मांड विज्ञान के विकास के साथ एकएक करके अपने रहस्य खोल रहा है। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है। दरअसल, खगोलविदों को शुरुआती ब्रह्मांड की आकाशगंगाओं का अब तक का सबसे बड़ा समूह मिला है। इसकी उत्पत्ति का समय बिग बैंग के मात्र दो अरब वर्षों बाद का बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में जानने में मदद मिल सकेगी।अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस के शोधकर्ताओं का कहना है कि आकाशगंगाओं के इस समूह को हाइपीरियन नाम दिया गया है। चिली में स्थापित यूरोपियन साउथर्न ऑब्जरवेटरी के बेहद विशाल टेलीस्कोप पर लगे वीआइएमओएस उपकरण का इस्तेमाल कर इसकी पहचान की गई है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, हाइपीरियन का द्रव्यमान सूरज से 10 लाख अरब गुना अधिक है, जो इसे ब्रह्मांड के निर्माण के बाद से अब तक खोजी गई संरचनाओं में सबसे विशाल संरचना बनाता है।एस्ट्रोफिजिक्स के ओल्गा कुकासीटी कहते हैं, यह पहला मौका है, जब हमें ब्रह्मांड में कोई इतनी विशाल संरचना मिली है और वो भी बिग बिंग के दो अरब साल बनी हुई। सामान्य तौर पर इस तरह की संरचनाओं को न्यून रेडशिफ्ट्स कहते हैं, जिनका मतलब है कि उस समय की संरचनाएं जब ब्रह्मांड के पास इतनी बड़ी चीजों को विकसित करने और निर्माण करने के लिए अधिक समय था। आकाशगंगाओं का यह समूह बेहद आश्चर्यजनक है क्योंकि इसका निर्माण तब हुआ जब ब्रह्मांड आज की तुलना में बेहद युवा था।माना जाता है कि बिग बैंग की घटना करीब 13.7 अरब वर्ष पहले हुई थी, जबकि यह संरचना बिग बैंग के मात्र दो अरब साल बाद की बताई जा रही है। इस तरह से ब्रह्मांड के विस्तार के शुरुआती दौर में ही आकाशगंगाओं का इतना विशाल समूह बन गया था, जिसकी पहचान अब जाकर की जा सकी है।सेक्सटंस यानी षडंश तारामंडल में स्थित हाइपीरियन की खोज एक नवीन तकनीक के जरिये की गई है। इसमें वीआइएमओएस के अल्ट्रा-डीप सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा का विश्लेषण किया गया, जिसके बाद इसका पता चला। वीआइएमओएस ऐसा उपकरण है, जो ब्रह्मांड में मौजूद सैकड़ों आकाशगंगाओं की दूसरी एक ही बार में पता लगा सकता है। इससे प्राप्त डाटा के जरिये आकाशगंगाओं के इस विशाल समूह का पता चल सका।