(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): भारत सरकार और बोडो समुदाय के बीच हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पहली बार कोकराझार पहुंचे। यहां स्थानीय परंपरा के मुताबिक प्रधानमंत्री का स्वागत किया गया और समझौते के लिए धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया। यहां सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस जगह से मेरा पुराना रिश्ता, लेकिन आज जो उत्साह देखने को मिला है वैसा कभी नहीं मिला। यहां बोडो समुदाय के लोगों से पीएम ने कहा कि मैं आपका हूं, मुझपर भरोसा रखना। प्रधानमंत्री बोले कि पूर्वोत्तर में अब अलगाव नहीं, लगाव हो गया है। जब लगाव होता है, तो सभी एकसाथ काम करने के लिए तैयार होते हैं। सरकार ने ब्रू की समस्याओं को समझा और उनका हल निकाला। अब एनएलएफटी ने भी बम–बंदूकों को छोड़ शांति का मार्ग अपना लिया। आप अपने साथी पर विश्वास रखें, ये विश्वास टूटेगा नहीं। प्रधानमंत्री ने अपील करते हुए कहा कि सभी को बैर छोड़ना होगा, हिंसा से कभी कुछ हासिल नहीं हुआ है। रैली में प्रधानमंत्री बोले कि देश में एक विभाजित करने वाली विचारधारा को पैदा किया जा रहा है, लेकिन ऐसे लोग असम और भारत को समझते नहीं हैं। सीएए को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है, यहां कोई बाहर से आकर नहीं बसेगा। मैं आज असम के हर साथी को ये आश्वस्त करने आया हूं कि असम विरोधी, देश विरोधी हर मानसिकता को, इसके समर्थकों को,देश न बर्दाश्त करेगा, न माफ करेगा। कोकराझार की सभा में पीएम ने कहा कि ये इतिहास की सबसे ऐतिहासिक रैली होगी। कभी–कभी लोग डंडा मारने की बात करते हैं लेकिन मुझे करोड़ों माताओं–बहनों का कवच मिला हुआ है। आज का दिन शहीदों को याद करने का है, जिन्होंने देश के लिए बलिदान का है। बोडो समझौते पर प्रधानमंत्री बोले कि आज का दिन स्थानीय लोगों के जश्न का है, क्योंकि समझौते से स्थाई शांति का रास्ता निकला है। सभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हिंसा के अंधकार को इस धरती पर लौटने नहीं देना है, अब किसी का खून नहीं गिरेगा। हिंसा को लेकर पीएम ने कहा कि दशकों तक यहां गोलियां चलती रहीं, लेकिन अब एक शांति का नया रास्ता खुला है। नॉर्थईस्ट में अब शांति का नया अध्याय जुड़ना ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब इस समझौते का जश्न हो रहा है, तब गोलाघाट में शंकरदेव वार्षिक सम्मेलन चल रहा है। PM बोले कि आपने एक इतिहास रचा है, जिसे पूरा देश देख रहा है। आंदोलन से जुड़ी सभी मांगें खत्म हो गई हैं, 1993-2003 के समझौतों के बाद पूरी शांति नहीं हो पाई थी। लेकिन अब केंद्र–राज्य और बोडो के लोगों ने जिस समझौते को साइन किया है, इससे कोई मांग नहीं है। रैली में प्रधानमंत्री ने कहा कि बंदूक छोड़कर आए लोगों को एक कांटा भी ना चुभे, इसकी चिंता मैं करूंगा। शांति–अहिंसा का रास्ता पूरे असम–हिंदुस्तान के दिल को जीत लेगा। पीएम ने कहा कि इस समझौते से सभी की जीत हुई है, शांति की जीत हुई है। अब सरकार का प्रयास है कि असम अकॉर्ड की धारा 6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए। सभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश चुनौतियों का सामना कर रहा है, पीछे नहीं हट रहा है। जब राष्ट्रहित सर्वोपरि हो तो परिस्थितियों को ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता है, नॉर्थईस्ट का विषय संवेदनशील था। हमने पूर्वोत्तर के लोगों में विश्वास पैदा किया, पहले हर साल नॉर्थईस्ट में उग्रवाद की वजह से 1000 लोग अपनी जान गंवाते थे। पहले देश के लोग नॉर्थईस्ट आने से डरते थे, लेकिन अब ये टूरिस्ट स्पॉट बन गया है। अब दिल्ली आपके दरवाजे पर आ गई है। नागरिकता संशोधन एक्ट के खिलाफ असम और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हिंसा हुई थी, पीएम इससे पहले अपने दो दौरे टाल चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए कोकराझार तैयार है। पूरे शहर में मानो उत्सव का माहौल है। बीती रात असम का ये शहर लाखों दीये से ऐसे रौशन हुआ, मानो दीवाली आ गई हो। पीएम मोदी बोडो समझौते की खुशी में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने कोकराझार आ रहे हैं। पीएम के स्वागत में जगह–जगह बड़े बैनर लगाए गए हैं। असम के विभिन्य जनजाति समूहों के कलाकार पीएम के स्वागत में सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप देते नजर आए। गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में 27 जनवरी को बोडो समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था। समझौते के दो दिन के भीतर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के अलग–अलग गुटों के करीब 1615 उग्रवादी अपने हथियार डाल कर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। समझौते के तहत क्षेत्र के विकास के लिए करीब 1500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज रखा गया है। नागरिकता संशोधन कानून बनने के बाद ये प्रधानमंत्री का पूर्वोत्तर का ये पहला दौरा है। गौरतलब है कि दिसंबर में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ पीएम मोदी गुवाहाटी में शिखर सम्मेलन करने वाले थे, लेकिन सीएए विरोधी आंदोलनों की वजह से पीएम का दौरा रद्द हो गया था।