(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : नई दिल्ली। वो वीर जो पल भर भी अपने लिए नहीं जिए , वो देवतुल्य जिन्होंने खुद को समर्पित कर दिया था भरत माता के चरणों में , उन कोटि कोटि पुण्यात्माओ में से एक हैं आज ही जन्मे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन जी जिन्होंने ताज होटल मुंबई को विधर्मियो से मुक्त करते हुए दिया था अपना सर्वोच्च बलिदान और उस से पहले मार गिराया था मुंबई की तरफ कुदृष्टि उठाने वाले उन इस्लामिक आतंकियों को जिनके घाव आज भी मुंबई को दर्द दे रहे हैं। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा की भारतवासी अपने जीवन में सर्वाधिक सम्मान भारतीय सेना के जवान को देते हैं और यह सत्य भी है कि माँ भारती के सच्चे सपूत भारत की रक्षा के लिए अपने प्राणों तक को न्यौछावर कर अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि अपने जीवन से बढ़कर हम अपने देश एवं देशवासियों कि सुरक्षा के लिए कर्तव्यबद्ध हैं अपने प्राणों कि आहुति देने वालों में से एक हैं २६/११ को हुए मुंबई हमलो के ३१ वर्षीय अमर शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन। 26/11 को हुआ आतंकी हमला तो आपको याद ही होगा, लेकिन क्या आपको पता है 15 मार्च को क्या हुआ था? आज ही के दिन अर्थात 15 मार्च 1977 को मुंबई हमले के दौरान शहीद हुए संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म हुआ था। उन्नीकृष्णन 7वीं बिहार रेजीमेंट के जवान थे और एनएसजी में संदीप की यह दूसरी डेप्यूटेशन थी। १५ मार्च, १९७७ को जन्मे मेजर संदीप भारतीय सेना के एनएसजी कमांडो थे। २६/११ को उन्हें ५१ ताज महल होटल के बचाव का दायित्व सौंपा गया। उन्होंने १० कमांडो के दल के साथ होटल में प्रवेश किया व छठे तल पर पहुँचे जहाँ उन्हें महसूस हुआ कि आतंवादी तीसरे तल पर छुपे हैं आतंकवादियों ने कुछ महिलाओं को बंधक बनाया हुआ था। दरवाजा तोड़ कर उन्होंने गोलीबारी का सामना किया जिसमें कमांडो सुनील यादव घायल हो गए। ।। मेजर संदीप ने अपने प्राणों की चिंता न करते हुए सुनील को वहाँ से निकाला, लगातार गोलीबारी का उत्तर देते रहे और भागते हुए आतंकवादियों का पीछा भी किया। इस युद्ध में इस वीर को भी इस्लामिक आतंकियों की गोलियां लगी और ये वीर सदा सदा के लिए अमरता को प्राप्त हो गया । ‘तुम मत आओ, मैं संभाल लूंगा’ बोलकर कह गए अलविदा अपने इसी शौर्य और पराक्रम के चलते इस परम बलिदानी को वीरगतिउपरान्त शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया । इस परम बलिदानी के अंतिम संस्कार का एक पूर्व मंत्री ने अपशब्दों के साथ उपहास ही उड़ाया था लेकिन बाद में जनता के कोप के चलते वो मंत्री अपनी सरकार के साथ अपमान के साथ विदा हुआ जबकि इस वीर को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई मिली और भारत भर ने नम आखो के साथ इनको नमन किया।
आज़ उस गौरव की पराकाष्ठा को NLN मीडिया उनके जन्म दिवस पर नम आखों से नमन करते हुए उनके अमर बलिदान को सदा सदा के लिए जन जन तक पहुचाने का संकल्प दोहराता है। मेजर संदीप अमर रहें । जय हिन्द की सेना !