महाराष्ट्र में किसान अपनी मांगों के लिए खेत छोड़ सड़कों पर आंदोलन करने उतर चुके हैं. करीब 30,000 किसान कर्जमाफी जैसे कई मांगों को लेकर नासिक से मुंबई की ओर बढ़ रहे हैं. नासिक से 6 मार्च को निकला किसानों का ये मोर्चा ठाणे जिले तक पहुंच चुका है.
ऑल इंडिया किसान सभा के नेतृत्व में हो रहा ये मार्च 12 मार्च को अपनी मांगों को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा का घेराव करेगा.
क्यों उतरे किसान सड़कों पर?
पैदल मार्च कर रहे किसानों के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने उनके साथ वादा खिलाफी की है. उनकी प्रमुख मांगें ये हैं-
- किसानों को फसल का डेढ़ गुना भाव मिले
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हों
- कपास के कीड़े और ओले से हुए नुकसान पर किसानों को हर एकड का 40 हजार मुआवजा मिले
- किसानों का बिजली का बिल माफ किया जाए
क्यों फूटा किसानों का गुस्सा?
साल 2017 के मई महीने में किसानों ने महाराष्ट्र सरकार से कर्ज माफी को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया था. आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने उनकी मांगे मान ली थीं और 5 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों का पुराना कर्ज माफ करने का फैसला लिया था.
साथ ही नया बैंक लोन तुरंत देने का भी आदेश दिया था. जिसके बाद किसानों ने आंदोलन समाप्त कर दिया था.
लेकिन सरकारी फैसले के 6 महीने बीतने पर भी आधे से ज्यादा किसानों को कर्ज राहत नहीं मिली. किसानों के मुताबिक सरकार ने 34,000 करोड़ की कर्जमाफी का ऐलान किया था, लेकिन पिछले 6 महीनों में सिर्फ 13,700 करोड़ का ही कर्ज माफ किया गया है.
छत्रपति शिवाजी महाराज शेतकरी सम्मान योजना के तहत अब तक 46 लाख 35 हजार 638 किसानों के खाते में कर्जमाफी की रकम जमा की गई है. जबकि कर्जमाफी की घोषणा करते वक्त सीएम फडणवीस ने दावा किया था कि 89 लाख किसानों को कर्जमाफी का फायदा मिलेगा.