(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : केंद्रीय बिजली मंत्रालय आने वाले समय में एयर कंडीशनर के लिए तापमान का सामान्य स्तर 24 डिग्री नियत कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो देशभर में सालाना 20 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने एयर कंडीशन के क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने का अभियान शुरू करते हुए कहा कि एयर कंडीशनर में तापामान ऊंचा करने से बिजली खपत में छह फीसद की कमी आती है। एयर कंडीशनर बनाने वाली प्रमुख कंपनियों एवं उनके संगठनों के साथ बैठक में उन्होंने कहा कि शरीर का सामान्य तापमान 36 से 37 डिग्री सेल्सियस है लेकिन वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, होटल तथा दफ्तरों में तापमान 18 से 21 डिग्री रखा जाता है।
इस तापमान में लोगों को गर्म कपड़े पहनने पड़ते हैं या कंबल का उपयोग करना होता है। यह वास्तव में ऊर्जा की बर्बादी है। इसको देखते हुए जापान जैसे कुछ देशों में तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रखने के लिये नियमन बनाए गए हैं।
यहां जारी आधिकारिक बयान के अनुसार बिजली मंत्रालय के अधीन आने वाला ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने इस संदर्भ में एक अध्ययन कराया है और एयर कंडीशनर में तापमान 24 डिग्री सेल्सियस निर्धारित करने की सिफारिश की है। इस दिशा में शुरुआत करते हुए हवाईअड्डा, होटल, शापिंग मॉल समेत सभी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और विनिर्माताओं को परामर्श जारी किया जाएगा।केंद्रीय बिजली मंत्री ने इस मुद्दे पर देश की प्रमुख एयर कंडीशनर निर्माता कंपनियों के अधिकारियों से मिले और उन्हें इस बारे में उचित कदम उठाने को कहा। 18-21 डिग्री पर लोग चलाते हैं एसीएसी बनाने वाली कंपनियों को यह भी कहा गया है कि वे एसी पर साफ-साफ इस बारे में निर्देश का उल्लेख करें कि 24-26 डिग्री तापमान ही हर लिहाज से सही होता है।बिजली मंत्रालय ने इस बारे में ब्यूरो ऑफ एनर्जी रिसर्च से एक अध्ययन करवाया है। इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अधिकांश जगहों पर एसी में 18-21 डिग्री तापमान निर्धारित किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी सही नहीं है, क्योंकि सामान्य तौर पर मानव के शरीर का तापमान 36-37 डिग्री होता है।बिजली मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि एसी के तापमान को लेकर चार-छह महीने तक पूरे देश में अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद एसी कंपनियों के लिए 24 डिग्री तापमान तय करने का नियम अनिवार्य बनाने की योजना है। सरकार का अनुमान है कि अभी देश के छह फीसदी घरों में एयर कंडीशनर का इस्तेमाल होता है। वर्ष 2030 तक सिर्फ एसी के जरिए 20,000 मेगावाट बिजली की खपत हो सकती है। अगर एसी खरीदने वालों की संख्या बढ़ेगी तो बिजली की खपत भी बढ़ेगी। ऐसे में अगर एसी के तापमान को लेकर सतर्कता बरती जाए तो रोजाना चार करोड़ यूनिट बिजली की बचत की जा सकती है।